ਦਿਲ ਸਾਡੇ ਨੂੰ ਠੌਰ ਨੀਂ ਕੋਈ
ਸੱਜਣਾਂ ਬਾਝੋਂ ਕਰਦਾ ਗ਼ੌਰ ਨੀਂ ਕੋਈ
ਤੁਹੀਂਓ ਸਾਡਾ ਰੱਬ ਹੈ ਸਜਣਾਂ
ਚਾਹੀਦਾ ਸਾਨੂੰ ਹੋਰ ਨੀਂ ਕੋਈ।
✍️Mamta-
ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਜਿਹਦੀ ਖੂਸ਼ਬੂ ਹੁੰਦੀ ਸੀ
ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਮੇਰੇ ਜਿਹਦੀ ਤਸਵੀਰ ਉਕਰੀ
ਹੋਲੀ ਹੋਲੀ ਉਹ ਧੁੰਦਲੀ ਜੀ ਪੈ ਗਈ,,
ਜਿਹੜੀ ਗੁਲਾਬੀ ਫੁੱਲਾਂ ਜਿਹੀ ਨਿਖਰੀ....
ਤਾਰਿਆਂ ਦੀ ਰੁੱਤ ਸੀ ਉਹ ਤੇ ਚੰਨ ਦੀ ਵੀ ਕੁਝ ਲਗਦੀ ਸੀ
ਸੂਰਜ ਵਾਂਗਰ ਧੁੱਪਾ ਸੀ ਦਿੰਦੀ, ਤੇ ਹੂਰਾ ਵਾਂਗਰ ਜਚੱਦੀ ਸੀ
ਪਰਬਤ, ਪਹਾੜਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸਿਆ ਸ਼ਹਿਰ ਤੇ,,
ਡਿਗਦੀ ਬਰਫ਼ ਜਿਹੀ ਬਿਖਰੀ.....
ਜਿਹਦੇ ਫਿਰੋਜ਼ੀ ਬੁੱਲਾ ਨੂੰ ਚੁੰਮ ਕੇ
ਇਕ ਪਲ ਵਿੱਚ ਸਾਰੀ ਦੁਨੀਆਂ ਘੁੰਮ ਕੇ
ਜਿਵੇਂ ਮੁੜ ਆਇਆ ਹੋਵਾਂ, ਉਹ ਦੇ ਮਹਿਲਾਂ 'ਚ,,
ਸੁੱਤੇ ਪਏ ਮੇਰੇ ਸੁਪਨੇ 'ਚ ਉਸਰੀ....-
मैंने जिन्दगी का तमाशा, करीब से देखा है
जिस शख्स से मुहब्बत की, खूबसूरत था
उसे होते हुए अजीब सा देखा है
जो उजला दिन सा था, उसे बीतती तारीख सा देखा है
जो मंजिलें आसमां छू रहा था, उसे गिरते जमीन पे देखा है
जो मखमल पे टहलता था, उसे मेहनती लाचार गरीब सा देखा है
जो तकदीर था सबकी, उसी का खोटा नसीब सा देखा है
जो कांच सा अनमोल, मैंने उसे टूटते बड़े करीब से देखा है
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कुछ बातें बताई नहीं जाती...
कुछ अहसास लिखे नहीं जाते...
अर्थ,,, यह तो नहीं हम में कुछ बाकी नहीं....
कुछ हाल खामोशियाँ भी बता जाती है,,,,,,-
तेरे बदन की खुशबू, मेरे लबों की छुहन हो जाए..
खुदा करे कुछ ऐसा सितम हो जाए..
तुम, तुम न रहो, मैं, मैं न रहूँ,,,
एक दूसरे से मिलकर हम हो जाए....
हल्की हल्की बरसात और तेरा मेरा मिलना हो जाए..
खुदा करे कुछ ऐसा सितम हो जाए..
ना तेरा मन लगे, न मेरा बिन तेरे,,,
मैं तेरा हमदम, तूं मेरा सनम हो जाए.....
मैं तेरे पास आऊं, तूं मेरे नजदीक हो जाए..
खुदा करे कुछ ऐसा सितम हो जाए..
तूं मुझमें मैं तुझमें खो के रोएं,,,,
कहानी सुनकर हमारी खुदा की भी आंखें नम हो जाए..
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शांति में बैठ कर ... मैं अक्सर ,,,
जेहन में ख्यालों की वहशत मनाता हूँ..
भाती नहीं खामोशी,, हलचल हो जवानी में,,
के हर दिल में ऐसी दहशत फैलाता हूँ..
मुमताज़ ✍
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खुशबू मिट जाए फूलों से तो फूलों में क्या रह जाएगा..
सुख दुःख मिट जाए जिन्दगी से तो जिंदगी में क्या रह जाएगा..
गर सबमें प्रीत और सब ही विशवास के काबिल हो,
अपने और पराये का भेद खत्म हो जाए तो रिश्तों में क्या रह जाएगा..
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दिल और दिमाग़ सब खत्म है, बस हल्क में जूबान बाकी है..
हम जिन्दा है साहेब अभी हमारे कुछ अरमान बाकी है..
हमने जी ली है जिन्दगी टुकड़ो में..
जीने को फिर भी पूरा जहान बाकी है..
तुम चाहो तो फिर से मुस्कुरा सकते हैं हम..
हमारी तुम में आधी जान बाकी है...
तुम इकरार करो या इनकार हम कोशिशों पर हैं..
अभी इन ख्वाहिशों में आग बाकी है...
लाख भुला दो तुम अपने जेहन से..
तुम्हारे हाथों पर मेरे निशान बाकी है....-
ओ नूर ए ईलाई जो तूने अक्श गढे है
कुछ में है तेजस्विता कुछ शून्य भाव भरें हैं
कुछ जीत के मुकाम पर कुछ हारे हुए खड़े हैं
ओ दीने ईलाई जो तूने अक्श गढे है
कुछ शूरवीर योद्धा कुछ की तो दशा दीन है
सारी ही मानवता में भरी भावना हीन है
जल्दी ही नष्ट होंगे जो अहंकार भरे हैं
ओ नूर ए ईलाई जो तूने अक्श गढे है
कोई विशाल दरिया कोई बूंद पानी है
द्वेष के वातावरण में निरर्थक जवानी है
जो दरिया किनारे वो खाली, भीतर मोती जड़ें है
ओ नूर ए ईलाई जो तूने अक्श गढे है
सबमें हो प्रेम, आंखों में ख्वाब रहे
कहने को नहीं, दुख सुख में सभी साथ रहे
हो देश भक्त, मिट जाए जो गद्दार भरें हैं
ओ नूर ए ईसाई जो तूने अक्श गढे है
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मेरी आंखों में बैचेनी, मेरी नींदों में तड़पन है
मुहब्बत है तुमी से, तुमी से दिल की धड़कन है
तुमे पाना नहीं आसान, मुझे अच्छे से है मालूम....
बिछे ना फूल रस्ते में, पत्थर और कांटों सी अड़चन है-