नशा बेचना कुछ इस कदर ज़रूरी हो गया
हाय!मौत का सौदागर खुद हाकिम हो गया!!-
नशा ज़िंदगी पर इस कद्र हावी हो गया
एक बोतल पर इंसान मौत का मुलाज़िम हो गया।-
उन्हें रूह में कैद करिए, यू पींजरों में नहीं !
वो महबूब है ए-जानीब, कोई मुलाजिम तो नहीं !-
Arz Hai,
Mai Adna Sa Mulazim Hu, Is Sang Dil Shahar Ka..
Bas Kuch Yu Juda Hu, Ki Mera Dil Dhadkata Hai..-
मिले हो तुम जब से आंखौं मे इ़श्क का कोहरा रहता है|
हर वौं प्यारी ख्वाइश मे तेरा ही नाम सुनाइ देता है||
तु मीले या ना मीले मेरा तुज मैं बसना मुलाज़िल सा लगता है|
ख्वाबौं की गलियों मे बस तुमहारा दीदार होता रहता है||
❤🌹❤
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तुम कद्र नहीं करते मेरी
'आम' सी महोब्बत की !
किसी बेपरवाह सरकार के
'खास' मुलाज़िम लगते हो!-
Unke Saalahakar Bahut Hai.
Unhone Hume Batur Mulazim Rakha Hai..-
Tumne Kya Soch Kar Mera Aage Dusri Muhabbat ka Mashwara Rakha.
Ishq kya Ghar ka Koi Mulazim Hai
Ek Chora Kar Dusra Rakha....-
यकीनन मुलाज़िम हैं हम
लेकिन गलती से हमें अपना
ग़ुलाम समझने की कोशिश मत करिये।-