Vikas Vyas   (विकास व्यास ✍)
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Joined 21 April 2019


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6 NOV 2019 AT 0:51

खुशियाँ लिखूं या रूहानी शाम लिखूं
दर्द-ए-दिल लिखूं या हाल-ए-दिल कहूँ
कलम थामू जब बस कोराकागज़ हो ओर
तेरा नाम लिखूं

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16 FEB 2021 AT 18:35

बेइंतहा इस मोहब्बत का मुकाम ना हो
आ चलें ऐसे शहर जहाँ
इश्क़ भरी सुबह हो फ़िर शाम ना हो

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16 SEP 2020 AT 23:44

मेवाड़ की माटी से उपजे
दादा परशुराम के चेले हैं
डर ना दिखा हमें आँधी का
हम तूफानों से खेले हैं

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16 JUN 2020 AT 22:53

अभी तो प्रकति ने शुरु किया है प्रतिशोध
महादेव का तांडव अभी बकी है।

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15 JUN 2020 AT 10:58

इश्क़ मेरा काजल बना निगाहों में सजा लिया करो तुम
बेरंग चेहरा यूँ देखा नहीं जाता।

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13 JUN 2020 AT 19:51

गम-ए-उल्फ़त तुझ में निहायत है
फ़िर भी ए ज़िंदगी तुझे जीने की बड़ी चाहत है।

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7 JUN 2020 AT 22:03

जीवन का नवीन पड़ाव
नव ऊर्जा नव हर्ष
साथ आया नव उत्तरदायित्व,
उत्तरदायित्व प्रेम का ,सम्मान का,
परस्पर विश्वास का।

बागबान सौंपता है पुष्प अपने ह्रदय का
श्रृंगार करने तुम्हारे सँसार का
उज्वल करने संसार तुम्हारा
सजनी आएगी द्वार दीप लिए विश्वास का
कि प्राप्त होगा समर्पण तुम्हारे अटूट साथ का

छोड आएगी बंधन बाबुल के सारे
एक प्रित तुम संग निभाने
भार अधिक होगा तुम पर
निभाने बंधन विश्वास का
रहना सज सदा तुम
कारण हरने उसके हर संताप का
एक तुम संग होने मोह त्याग देगी वो साँसर का।

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6 JUN 2020 AT 14:22

संघर्ष को कर्तव्य समझ निरंतर आगे बढ़ना
सफलता अवश्य मिलेगी मन में सदेव विश्वास रखना।

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5 JUN 2020 AT 22:01

दो अक्षर में जीवन का भेद समाया
शीतल छाव ममता की निश्चल काया
अद्भूत समावेश त्याग,समर्पण,स्नेह,लगाव का
अनंत आकाश सा न संभव इसे शब्दों में बाँध पाना।

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4 JUN 2020 AT 23:35

लेखा-जोखा सबका होगा
अपनी बारी की राह निहारो
कभी जीभ के स्वाद हेतु
कभी परीक्षण बम का करके
निर्दोष जीवों को तुम मारो
कर्म की लाठी में आवाज़ नहीं
एक दिन पड़ेगी जम कर तुम्हें
आज हँस लो जी भर तुम
कल यमराज के सम्मुख रोओगे मक्कारों

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