Ashwani Kumar Armaan   (Ashwani Kumar Armaan)
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मेरा चरित्र,मेरी उपलब्धि, मेरे विचारों का ही योगफल है।
Joined 14 June 2018


मेरा चरित्र,मेरी उपलब्धि, मेरे विचारों का ही योगफल है।
Joined 14 June 2018
9 MAY AT 17:47

सोशल मीडिया पर Army और Airforce की दोनों ऑफिसर सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह की बहुत तारीफ हो रही है।
पर क्या आपने नोट किया है कि वो सब Feminist और वामपंथने चुप हैं जो लड़कियों के नंगे बदन,छोटे कपड़े और मुजरा करने को, महिलाओं की आजादी और अभिव्यक्ति की संज्ञा देती है। जो महिलाओं को केवल एक उपभोग का सामान बनाने पर तुली हुई है। उन सब के मुंह में दही जम गया है।

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9 MAY AT 7:10

आज की गुप्त सूत्रों से खबर पाकिस्तान को कोए ज्यादा नुकसान कोनी होया ,भारत ने बस गेहूं का लांगा फुक्या है।, राकेश डकैत ने धमकी के साथ करी सरकार तै मुआवजे की मांग, नहीं तो बक्कल उतार देंगे।

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8 MAY AT 10:06

कई आदमियों के इतनी खाज सै, जब तक वे पाकिस्तान जाके गौडा न मोड़ आंदे वे तो माने नहीं के भारत नै कोए ऑपरेशन अंजाम दिया है।

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6 MAY AT 17:05

भी खुदा जैसा है,
मेरी सब उलझनों को
जहां आराम मिलता है।

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5 MAY AT 9:59

कोई चश्मदीद नहीं रहेगा,
मेरा यहां से गुजर जाने का!
कोई तो मकसद रहा होगा,
मेरा यहां पर आने का!

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30 APR AT 21:17

वतन के लिए आह निकल निकल कर आ रही है दिलों से!
आस्तीन के सांप भी निकल निकल कर आ रहे है बिलों से!

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23 APR AT 12:55

अगर आप नास्तिक भी है, और आपको हिन्दू रीतिरिवाज भी आडंबर लगते हैं। भगवान की अवधारण आपको काल्पनिक लगती है। तो आपको बता दूं कि भगवान की अवधारण के अलावा संसार में और दूसरी कोई भी अवधारणा नहीं है जिस पर जाकर आप मानसिक समर्पण कर सको। आप जितने मर्जी शिक्षित हों परंतु आप अपने मन की मदद के बिना इस संसार में कुछ नहीं बना सकते। और इस ब्रह्मांड में मन को शक्ति किसी ऐसे स्रोत से मिल रही है। जो कम से कम किसी शिक्षित मानव ने तो नहीं बनाया। मनोविज्ञान की सारी अवधारणाएं किसी एक बिंदु पर जा कर केंद्रित हो जाती है।

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19 APR AT 6:58

समर्पण का मतलब है पूर्णत: समर्पण इसमें शंका की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके बाद सोचने का कोई नाम नहीं है। ये सभी मानसिक उलझनों का अंतिम और पूर्ण विराम है।
_सतगुरु चरण सिंह जी।

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17 APR AT 20:33

कोई छू रहा होगा तन को,
शायद छू रहा होगा
तेरे मन को?
खुद से सवाल और
जवाब में गुजरेगी।
क्या मेरी जिंदगी इसी
अजाब में गुजरेगी?

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15 APR AT 22:00

गीत प्रेम के हों!
गीत विरहा के हों!
गीत तोहमतो के हों!
गीत बेवफाई के हों!
चाहे जो भी हो,
कितने खुशनसीब हो,
कि कोई तुम्हारे लिए
गा रहा है,लिख रहा है।

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