किसी मोड़ पर उससे मेरी फ़िर मुलाक़ात तो होगी?
दिल में उसके मेरे हिस्से की जगह वीरान तो होगी?
वो गुज़रा दौर बेशक़ अपने संग हमें भी ले गया,
अब नए से हैं हम, फ़िर नई सी शुरुआत भी होगी।
ग़र दर्द बसता है दिल में बेशुमार, तो भी ग़म नहीं,
वक़्त करवट बदलेगा, ख़ुशनुमा हयात फ़िर होगी।
मेरी जेबें भरी हैं यादों की अशरफीयों से,
खर्च करुँगी जब जब आँखों से बरसात तो होगी।
ना मिलेंगे उससे हम ज़्यादा ज़्यादा अबकी दफ़ा,
निगाह मिलेगी उससे फ़िर, फ़िर ताराज भी होगी।
अभी हारी नहीं हूँ मैं, के ख़ुद से ज़रा रूठी हूँ,
हौसला फड़फड़ाएगा,चाल किसी की नाकाम तो होगी?
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