क्यों बताऊँ तुम्हें जब आप सुनने को नहीं तैयार
इतनी बार मैंने जताया फिर भी समझा नहीं मेरा प्यार-
यही मुश्किल है आपकी, सिर्फ़ खुदकी बात समझते हो
कितनी बार बोला मैंनें, कहां आप मेरे आँखें पढ़ते हो-
आंखें पढ़णा कोई बडी़ बात नहीं महोतर्मा,
पहले आप हमसे आंख मिलाईये तो सही..-
प्यार समझाया नहीं जताया जाता हैं..
प्यार किया होता तो समझाने की जरुरत नहीं पडती...-
मुझे ऐतराज नहीं उसके, यहां वहा जाने से,
दिक्कत ये है की वो बताके नहीं जाती !-
Agar tumhara dimag garam hai to
hmara bhi power high hai
Ham se door rahne me hi hamare
dushmano ki bhalai hai
Hmara koi kuch bigad nhi sakta q ki
hm to miya bhai hain
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में ईमान को अपनी
अमानत समझता हूँ
ख़ुदा के आग़ोश में ख़ुदको
सलामत समझता हूँ
मस्जिद में इबादत ही
मेरी मय का प्याला है
मयखाने में शिरकत
में हराम समझता हूँ।-
बदला लेना ही है तो ऐसे ही ले सकते है तबरेज।
हम से बेहतर काटना कोन जानता है।
पर हमारा इस्लाम हमें इंसानियत दिखाता है
हैवानियत नही।।-
Shareefoon k aage hum sharafat ka dhoong nhi karte
Areyyy janab begairtoon k aage hum SHAREEF nhi bante-