ग़ालिब की तरह तु भी कुछ लिख नही पाया 'राधे '
मुकम्मल जिंदगी 'अधूरी मोहब्बत' ही लिखता रहा
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इश्क में मशहूर जो इज़हार और इंतजार है...
इश्कवालों के लिए वो इम्तेहान है...
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ग़म ने हसने ना दिया,
ज़माना रोने ना दिया,
इस उलझन ने चैन से ज़ीने ना दिया।
थक के जब सितारों से पनाह ली,
नींद आई तो तेरी याद ने सोने ना दिया।।
📝 (Mirza Ghalib)-
अगर वो पूछ लें हमसे कि हमें किस बात का ग़म है
तो फिर किस बात का ग़म है अगर वो पूछ ले हमसे...!!-
कैसे करूँ शुक्रिया तुम्हें मै ग़ालिब,
कि रेख्ता सिखा दि तुमने ... ...
वरना ये गम-ए-दिल बयान न होता
और न इस गम-ए-मुहब्बत का कोई खरिददार ... ..!!-
Unke dikhne se
Jo aa jaati hai
Muuh par ronak.............
Wo smjhte hai ki
bimaar ka haal
achaa h ...........
Mirza Ghalib-
न था कुछ, तो ख़ुदा था
कुछ न होता, तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने
न होता मैं, तो क्या होता
हुई मुद्दत कि. 'ग़ालिब' मर गया
पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना
कि युँ होता, तो क्या होता
- मिर्जा गालिब-
कहीं नजदीकियों में है,
कहीं फासलों में है,
ये इश्क़ है जनाब...
हर कहीं मौजूद है।-