ऊंचे महलों की थी रानी,
आओ सुनाए उसकी कहानी,
सोने, चांदी से लगाव बड़ा,
हीरे - जवाहारात का अंबार लगा,
दीवारों तक में पैसे गड़वाहे,
कुछ ना खोने की उम्मीद में ताले लगवाए,
जवानी में पैर कहां टिक पाए,
अचानक रात दिल का कहर पड़ा,
बंद हुई नवज़ में बैठ डरा
मर कर भी जान, महल में ही अटकी बंधाई ,
भटकी आत्मा, शोहरत ना छोड़ पाई।।
- पूजा गौतम
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