ashwini kumar yadav   (फलाने)
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एक पहेली यूँ भी रखिये जिंदा
के ख़्वाहिश हो सुलझाने की
और ये उम्र गुजर जाए..

फलाने
Joined 19 April 2019


एक पहेली यूँ भी रखिये जिंदा
के ख़्वाहिश हो सुलझाने की
और ये उम्र गुजर जाए..

फलाने
Joined 19 April 2019
7 MAR 2021 AT 1:33

जिंदगी यही है के जिंदा हूँ मै
मौत वही होगी के बस मर जाऊंगा..

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1 JUL 2020 AT 12:41

अब भी वहीं हो ???

नहीं....
अब तुम्हारे लिखे ख़तों की क्रीज़ ठीक करता हूँ।

यही उम्मीद थी, कि बस नहीं चलेगा..
यही दास्ताँ है के
अब तक अधूरा हूँ मै....

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26 SEP 2019 AT 22:43

जो उठे थे कदम तो मंज़िल दूर हो गयी...
मै लड़खड़ाया भी तो कारवाँ लौटता देख के।

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25 SEP 2019 AT 15:14

बड़े सलीक़े की जिंदगी जी रहा है तू
तू जो है तू..
खुद में मर रहा है क्या तू?
उम्र भर रास आयी तुझको बेहिसाबी
तू जो है तू...
अब लम्हों को गिनके क्यों लम्हों में जी रहा है तू?

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17 SEP 2019 AT 20:43

कुछ एक ज़ख्म हैं जो याद हैं मुझे..
कुछ एक ज़िन्दगी...जो पूरी भुला दी मैने।

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7 SEP 2019 AT 22:41

लगी है आग,के हवा दो...
साहब-ए-मसनद की ख़्वाहिश है के
राख पे महल हो।

साहब-ए-मसनद- सत्ताधीश

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5 SEP 2019 AT 19:00

आजमाइशों का दौर,
और
वो मेरी आख़िरी मोहब्बत
जिंदगी रंग बदल गयी इम्तिहाँ लेते लेते...

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3 SEP 2019 AT 19:32

ये जिंदगी बद-नसीब है..और ये जिंदगी भी क्या!
फ़क़त मंज़िल बहुत क़रीब है..और ये मंज़िल भी क्या!

फ़क़त-बस इतना ही

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31 AUG 2019 AT 22:19

है एहसास मुझे उस "ज़मीं" का
जिस ज़मीं पे ... मेरा वजूद बिखरा पड़ा है...

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25 AUG 2019 AT 21:33

तुम मुझे अब जानवर ही समझो..तो बेहतर होगा
तुम मुझे अब कुछ भी न समझो तो बेहतर होगा..

मेरी अब हर चलांकि एक नादानी है
मेरी हर कहानी..
अब पुरानी है

सिमट जाने दो मुझे वक़्त लपेट कर
मरहम न सही ..न सही
ये मेरी कहानी.. बस एक कहानी ही सही..

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