Ishq majboor hai, mai nahi.
Tu zaruri hai, par sirf tu nahi.-
بِن دیکھے یوہی تماشہ بنا دیتا ہے کس کا
یہ چلاتا ہے اپنی زور پہ۔ نہی دیتا ساتھ زمانہ کس کا-
Halaato se haar kr
Kai baar insaan
kuch bhi kr jaata hai
Andaza ho use uske kiye kaa
Isse pehle hi
bhut kuch bigad jata hai-
उझली सुबह
धुन्धली शाम
मन्झली रात
रब ने उसे खैरत में दी
मुझे जाना है कहकर उसने ठुकरा दिया।
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मर्जियों का सारा खेल है साहिब...
दूरियाँ मेरी मर्जी की, मकसद देती है
दूरियाँ तेरी मर्जी की, जान लेती है....
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तुम्हारी मर्जी से....
पाना है तुम्हें....
जबरदस्तियाँ नहीं है....
हमारी मोहब्बत में....-
Chalo theek hai
humne maan li
tumhari saari
marziyaan par
kabhi fursat mile
to sirf sun hi lena
tum hamari marziyaan-
मेरी मर्जी से नहीं चलता कुछ,
मेरी मर्जी का नहीं होता कुछ।
मैं मेरी मर्जी से नहीं जी सका,
एक समय पे सब कुछ गया रूक।
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“हमसे नाराज़ होकर गए होते आप तो शायद मनाकर ले आते हम..
आप ख़ुद अपने मर्ज़ी से दूर गए हो..
बहुत मुश्किल है कि दोबारा मेरे क़रीब आ जाओगे..”-