मन का दरवाजा बंद ही भला एक बार जो खोला किसी के लिए सुख चैन सब लूट ले जाएगा नज़र वो अपना आएगा मगर दुश्मनी, दुश्मनों से बढ़कर निभाएगा बंद मन के दरवाजे के मालिक होगे खुद खुले दरवाजे का मालिक खुद भी ना रह पाएगा...
कभी- कभी लगता है समंदर सी भरी हूँ मैं असंख्य मोतियों, रत्नों, रहस्यों, जलधाराओं से.... कभी- कभी लगता है रिक्त हूँ मैं खुशियों,अपनों, प्रीत, मनमीत, प्रेम के निर्मल अहसासों से...
चाँद से कहना बहुत हसीं हो तुम मेरे दिल की जमीं हो तुम बचपन गुजरा तुम्हें तकते हुए उनींदी आँखों से ताका तुम्हें थकते हुए तुम्हारी चाँदनी से हसीं कुछ नहीं दिन पन्द्रह ही सही गम नहीं करीब हो ग ए हो और अब तो प्यारे हो ग ए हो और अब तो मिलोगे रुबरु दिल को यकीं है और यकीं भी बहुत हसीं है