#मैदान-ए-जंग नहीं है ये जो फिर से तैयारी करे..
इश्क में #हारे हैं जनाब..
अब #जीतने का शौक़ भी नहीं रखते।।-
Ye jo dikhate rehte ho tum raub auro ka,
Milo kabhi maidan-e-jung me to taqat dikhau tumhe.-
कोशिशे जो बहुत की तुने,
पर आज भी हिम्मतें बाकी है मुझमे ।
तेरे हर शातीर चालो के आगे,
आज भी बेबाक खड़ी हु मै ।
मैदान-ए-जंग मे जो मिल गए तुम,
तुम्हे औकात दिखाने कि साहस,
आज भी है मुझमे ।
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Zinda hai aaj bhi dilon Mai wo
72 Jo haq pe the .......
Maiedane Karbala Mai ,
Nam wo Nisha mit gya
Wo 22 hazaron Ka
Jab samna hua Hussain ibne Ali se ...
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गिरते है सहसवार ही मैदान_ए_जंग मे,
वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटने के बल चलते ।।-
जिंदगी कुछ रुक सी गयी है, ना जाने क्यूँ
कोशिश जारी है, हौसले बुलंद है
एक नया इतिहास लिखने की,
हम वो शिकारी he जो समय का इंतजार नहीं करते
पलट के आ गए फिर से मैदान मे,-
मैदान-ए-जंग से पीछे कभी हटते नहीं,
माँ-बाप, रब के सिवा, किसीके आगे झुकते नहीं,
हार हमें क्या रोकेगी, जीतें बिना हम रुकते नहीं,
ठान ले जब मन में, मरके भी हम हटते नहीं!-
Ham o hasrat hai
Ke,
Ham o hastrat hai
Mile na jaldi khabar
Kya?
Mile na jaldi khabar
Mil jaye to samjhlena
Khuda ki rahmat hai Mere yar!!
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Aag Ka Toh Kaam Hi Hai Jalana...
Bujne Ki Umeed Kaun Lagaye...
Jung Ke Maidan Mein Khade Ho Agar...
Zakhmo Ka Hisaab Kaun Lagaye...-