पहले तो हमदर्दी जताई फिर इक राबता जोड़ लिया ।
फ़िर लूटी जेबें, दिखाई फरेबी, और मुह मोड़ लिया ॥
अरे कहावत है ना जिसमे खाया उसमे ही छेद करा,
जिस दिल रह इक उम्र गुज़री फ़िर उसे ही तोड़ दिया ॥
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उन बेवफाईयों के दौर से यूँ हम भी गुजरे थे
अब क्या बताएं कि किस तरह हम बिखरे थे
शिकवे, शिकायत, अश्क बहाना यह रोज की बात रही
जो गिनाये ना जा सकेंगे मेरे ऐसे दुखड़े थे
हयात की नींद छोड़िए हमने गवाया चैन दिन का भी
कैसे काटी हाथों की नसें, कैसे बाहर खून के कतरे थे
पसेमाँ हो एक रात जब मैं घर के आंगन में बैठ कर रोयी
सुबह उठकर देखा तो पानी से भरे सारे कमरे थे
अब क्या लिखूं अपनी किस्मत और उनकी बेवफाई पर
जितना भी लिखती उस बगैरत के लिए उसमें मुझे ही खतरे थे
तारीगी में डूब गई अब जो , ज्योतिका की जिंदगानी
अब खुद को देखकर सोचती है कि पहले तेरे कितने नखरे थे-
Kuch log aise bhi:
Ankhon mein hewaniyat hoti hai
Lafzon se mohabbat barsate hai..-
हर बार बदलते आशिकों को देख,
वह भी अपना मुँह खोल पड़ा।
सब्र खाए मोहतरमा गिनती भूल रहा हूं,
थककर कमरा बोल पड़ा।।-
इंसान की जान इंसान ने लेली
जरा भी शर्म उस पापी को ना आई
औरत थी फिर भी दर्द ना समझी
रुतबा पेसो का भर भर दिखाया,
भरे हुए नोटों ने फ़ाइल बंद करादी
न्याय का तराजू रिस्वत से भर दिया
ताक़त नेताओं की भी बाजी मार गई
आम आदमी रोटा रह गया।
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मेरी तकलीफ क्या थी,
ये नहीं बता पाउँगा ...
बस इतना ही कह सकता हु ,,,,
वो रात का समय था ,
बारिश हो रही थी ,
एक हाथ में सिगरेट ,
एक हाथ में बियर थी ,
हल्का संगीत चल रहा था ,
और मै अकेला था ,बिलकुल अकेला ...-
कश्मीर उनको दे दो
या बदला उनसे ले लो
नहीं देखा जाता हमसे
यह रोज़ रोज़ का रोना
आतंक को मार गिराओ
या घुटनों के बल गिर जाओ
नहीं देखा जाता हमसे
यह रोज़ रोज़ का रोना
पाकिस्तान को साफ कर जाओ
या ख़ुद ही साफ हो जाओ
नहीं देखा जाता हमसे
यह रोज़ रोज़ का रोना
उस मां का बेटा वापस लाओ
या तुम ख़ुद भी वहीं चले जाओ
नहीं देखा जाता हमसे
यह रोज़ रोज़ का रोना-
आज वो हमें बता रहे हैं कि नजरअंदाज कैसे करते हैं...
एक दिन हम उन्हें बताएंगे कि अफसोस कैसे करते हैं..!!-
Log Itne Madarchod ho gaye hai
ki aane wale waqt me kam
Madarchod insan ko dhundh
Kar shadi karne ka trend aa jayega-
Sale mad****c*od
Follow karke unfollow karte he..
Ye Kya chut*** log he-