इंसान जितना मैच्योर हो जाता हैं...
ईद की खुशी उतनी ही कम हो जाती है..!!
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شاعر ہوں شبدو سے کھیلنے کا ہنر جانتا ہوں
आसान ... read more
कद्र कीजिए हमारी खामोशी की...
हम आपकी औकात छिपाए फिरते है..!!
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हमारा हाल तुम भी पूछते हो...
तुम्हे मालूम होना चाहिए था..!!
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मुझे एक नजर से देख ना तु...
मेरे एक नहीं सौ चेहरे हैं..!!
सौ रंग के हैं किरदार मेरे...
सौ कलम से लिखी कहानी हूं..!!-
वाकिफ़ हूँ चार दिन की मोहब्बत से...
मैं भी रह चुका हूँ अज़ीज़ किसी की..!!
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कुछ इस तरह से हमारी बातें अब कम हो गई...
कैसे हो से शुरू
मैं ठीक हूँ पे खत्म हो गई..!!
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इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की..
तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को..!!
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रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे...
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं..!!
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इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम...
आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते..!!
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वस्ल की रेल मयस्सर नहीं होने पाई...
हम तेरी हिज्र की पटरी पे कई साल चले..!!
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