इश्क़ की चाल पर मात भी मंजूर है..!!
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कुछ बाजियां ऐसी भी होती है जिनमें कभी हार नहीं होती।
जैसे इश्क़!
जीत गये तो क्या कहने और हारे भी तो बाजी मात नहीं होती।।
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Wo chahte hai ki hume unka khauf rhe
Are koi jaa ke btao unhe ko ab unse mohabbat nhi nafrat hai
Aur nafrat me khauf nahi hota-
ए दोस्त तुझे खुदा मान मैंने तुझसे हार मान ली
दुश्मनों को तो हम हर कदम पर मात देते है-
दिल पर कोई बात लेता है क्या
खुद को कोई मात देता है क्या।
वो तुझे भूल तो सकता है मगर
याद करने से कोई रोकता है क्या।
दिल में अपने मलाल मत रखना
रात दिन उसको सोचता है क्या।
इश्क़ में जिसने खा लिया धोखा
ये ग़म उसको कचोटता है क्या।
साफ कुछ भी नज़र नहीं आता
अश्क़ से आँख धोता है क्या।
फसल नफ़रत की काटनी होगी
बीज नफ़रत के बोता है क्या।
ज़िन्दगी किस मोड़ पर ले आयी
क्यों! बेसुध हो कर सोता है क्या।
शेर जब दिल से लिखे हो तो "रिया"
असर फिर दिल पर होता है क्या।-
बिसात ए ज़िन्दगी के हम सब प्यादे हैं,
शय और मात के खेल में सभी आधे हैं।-
रूठकर दूर हमसे जा बैठे
दिल के हाथों मात खा बैठे।
सोचते हैं उन्हें मनाएं कैसे
पास आकर दूर जाए कैसे।
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Khwahishen lakh kar lo tum magar hargiz na paoge
Kabhi tum ishq mat karna hamesha maat paoge
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भीड़ से हटके तेरे पास आया हूँ
दूर से चलके मैं तेरे पास आया हूँ।
अपनी रहमत तू बरसा दे मुझपे
मैं खाली झोली तेरे पास लाया हूँ।
वक़त सादगी की कोई नही करता
अबकी लड़ने झगड़ने आया हूँ।
दिल की बात कहीं रह ना जाए
राज़ ए दिल तुझसे कहने आया हूँ।
मेरे मालिक तू करम कर हमपे
इक जरासीम से मात खाया हूँ।
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