हे स्त्री,
अब तुझे माँ काली,
होना होगा !
निकल कर,
अब पुरुषों की आड़,
से तुझे !
स्वयं की,
रक्षा के लिए आगे,
होना होगा !
तोड़ कर,
बेड़िया सहनशीलता
की तुझे !
ले कर फरसा,
अब संहार पापीयों का,
करना होगा !!
हे स्त्री,
अब तुझे माँ काली,
होना होगा !-
है वो दुर्गा है वो काली, जग जननी जगदम्बा भवानी,
शेर की वो करती है सवारी, मेरी मैया खप्पर वाली,
आ रही है नवरात्री करो तैयारी, घर घर आएगी माँ शेरोवाली,
दुष्टो का करती है संहार, माँ की महिमा अपरम्पार,
हर घर सजेगा माँ का द्वार, बोलो माँ की जय जय कार,
सब हाथ जोड़ कर करो प्रणाम, कर देगी माँ सबका बेड़ा पार,
जो भी आता माँ के द्वार, खुशिओं से भर जाता उसका घर संसार,
होती है कन्याए भी माँ का रूप इन्हे गर्भ में मारकर ना करो माँ को रुष्ट!!
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बढ़ते कलियुग की छाया में
पाया असुरों ने फिर आकार,
फिर काली का हो अवतार
फिर काली का हो अवतार!
सत्यभूमि अब बनी मरुस्थल
झूठ की बढ़ रही पैदावार,
फिर काली का हो अवतार
फिर काली का हो अवतार!
शोषित जन का आक्रोशित मन
अब करे निरंतर यही पुकार,
फिर काली का हो अवतार
फिर काली का हो अवतार!-
ना ग़ुलाम जोरू का हम तुम्हें बनाना चाहते हैं
ना उम्मीद गुलामी तुम हम से करना
हमारी जिंदगी पर हमारा हक़ है
मेहरबानी करके ना इसे तुम हमसे छीनना
क्युं समझते हो कमजोर तुम नारी को
क्या भूल गए बेगम खदिज़ा और मां काली को
क्युं नहीं है जरुरी स्वाभिमान नारी का
क्युं हर बार पुरुष अहंकार कि संतुष्टि ही जरुरी है
काश होता कोई ऐसा भी इस दुनिया में
जो समझ पाता औरत जात को
की कमजोर नहीं है वो और ना ही उसे ज़रुरत किसी के सहारे की है
हालात और परिस्थितियों के साथ समझोता करना आता है उसे,
हर वक्त अपनों का ख्याल रखना आता है उसे,
तुम क्या बताओगे औरत को उसकी हद, अपनी हद में रहना आता है उसे-
हा एक नारी हूं मैं
पर अबला या
बेचारी नहीं हूं मैं
हाथ लगा के
देख तेरा सर धड़ से
अलग करने वाली
महाकाली हूं मैं....।।
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वो स्त्री है तब तक सब शांत है,
वो माँ काली है तब सबका विनाश है...-
सुना है हर बुरी शक्ति का सर्वनाश
करने आपका अवतार हुआ है यहाँ
आपके ही रूप प्रतित बेटियाँ है यहाँ
जिसे हर दिन एक दानव कुचलता है
फिर उन भेड़ियों का सर्वनाश क्यो नही
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लड़की बनने का राज सिर्फ मासूमियत नहीं है
तेज रफ्तार बनकर सब कुछ मिटा देना भी है ..........
जब एक लड़की अपनी पति की सिंदूर
अपनी मांग में भर सकती है उसी तेरा काली
बनके उसकी विनाश भी कर सकती है ........
जब एक लड़की मां बन कर पैदा कर
सकती है उसी तरह शेरनी बन कर
शिकार भी कर सकती है ......
जब एक लड़की सारे दुख अपने सीने में
थाम सकती है उसी तेरा ज्वालामुखी बनकर
सब कुछ राक भी कर सकते हैं .........
जब एक लड़की फूलों की तरह कोमल
बन सकती है उसी तेरा तलवार बनके
सबकी प्राण भि ले सकती है ........
पता है काली मां की मांग में सिंदूर और
हाथ में खून क्यों है ,,,,,वह कहते हैं जब
एक नारी चाहे तो हजारों हजारों पापियों की
शिर उसकी गले का हार भी बन सकते हैं........-
पुरुष पूजते हैं काली,
फिर भी उसकी शक्तियों से अनजान हैं,
जो हुआ अब एक और बलात्कार,
तो तुम्हारा भी निश्चित नरसंहार है...-