एक दीप आज फिर बुझ गई,
पर आवाज हमेशा अमर रहेगी!
इंदौर से निकला था वो,
हिंदुस्तान दिल में लिए!
हाथ मिलाना सिखाया था,
बड़े धीरे से दबाने बताया था!
अपने शायरी में; प्यार, दर्द, और
खुशी सब बड़ी हंसा-हंसा कर जताया था!
हिंदुस्तान ही नहीं विश्व में,
नाम कमाया था!
जहां जाता था,
वहां समा रंगीन हुआ करती थी!
बुझ गई आज वो दीप,
दिल के दौरे से!
दिल का शायर आज,
दिल से ही हार गया!
"भावपूर्ण श्रद्धांजलि" राहत इंदौरी जी को!
ॐ शांति! ॐ शांति! ॐ शांति!
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