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लिखा ख़ुदको ख़त में समुंदर हैं तो क्या तबाह करोगें,
लिखे नहीं तुम्हारे ख्याल तो क्या ख़फ़ा करोगें ...!!
बहता तुम्हारे संग लहरों में तो क्या ख़ुदको रजा करोगें,
लेहरे नहीं तुम्हारे तसुव्वुर् ने डूबया तो क्या धोखा करोगें... !!
दिशांत गिरीश चंद्र पाल-
तस्वीरों से बेहतर हैं कौन यहाँ,
नक़ाब पहने हैं ये सारा जहाँ... !!
वो खूबसूरत हैं जो दिखतें नहीं,
जो दिखतें हैं वो खूबसूरत हैं कहाँ...!!
- दिशांत चंद्रपाल-
तुम्हारे संग दफ़न होने तक का साथ मंजूर हो,
कफ़न तुम्हारी जुल्फों से ढका हो ... !!
वक़्त की खामोशियों का समंदर हो,
फ़क़त तेरे संग दफ़न होने को तेरा हाथ मंजूर हो ... !!-
मुद्दतों वाली बहस में फ़क़त वक़्त ही गुज़रता है,
जब शख्स गुज़र जाता है तब उसका होना समझ आता है ... !!
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क़ीमत सिर्फ़ क़िरदार की गवाह होगी,
कमाई थोड़ी श्मशान तक साथ आएंगी ... !!-
Ishq do logo ke ahsaas ki zimmedari hoti hai,
Yeh bhoj kisi ek pe ho to dhalna to hota hi hai.-
मुझें ख़ुदमे दफ़न कर शमशान कर ग़ए,
अब जलाने को बेताब क्यों करते हैं लोग़ ... !!-
के शराफत के नशें में अक्सर लोग बदनाम हो जाते हैं,
हम जिनका लिबास ओढ़ाकर जिस्म ढकते है
उन्ही की नजरों का शिकार हो जाते हैं ... !!-