कोई लड़की पास से गुजरे तो
तुम उसका डर नहीं साहस बन जाओ
कोई उसका जिस्म नोचे तो
तुम हवस नहीं उसका लिबास बन जाओ-
ये मेरा लहज़ा,मेरा लिबास देखेंगे
मतलब की,हर चीज खास देखेंगे |
ये बस्ती है मुनाफिकों की बस्ती
यहां-कहां,आप यार देखेंगे |-
Qubool ishq hai, To jism pare rakh aao,
Ye mohabbat hai janab yanha roohe
Kharid farokht nahi karti.
Jo Shauk e husn walen hai wo bazar ho aaye,
Hume to unka Libaas ban kar milna hai unse
Basharte unhe dekha to nahi par
suna hai ,aankhen Qayamat hai uski.-
ज़िंदगी सुलझी नहीं उलझ रही है,
मैं ख़ुश नहीं उदास हूँ ।
मैं ज़िंदा नहीं मैं लाश हूँ ।
मैं उस हँसते खेलते साहिल का बस एक लिबास हूँ ।-
मेरा दिल जो,...
एक अरसे से पत्थर है...
तू इसे अब पिघलाने...
की कोशिश ना कर...
बेजान जिस्म को...
अब तमन्ना है कफन की...
तू मोहब्बत का लिबास...
ओढाने की कोशिश ना कर...-
सांँसो का हाथ थामे...
एक जिंदा लाश सा हूँ...
दर्द का लिबास ओढ़े...
मैं तेरी तलाश में हूँ...-
हर शख्स उम्दा है अपने संस्कारों के लिहाज़ से,,
बशर्ते जज करना छोड़ दो तुम उनके लिबास से ,,-
तुम लिबास की बात करते हो,
जनाब यहां पल भर में लोगों के चेहरे बदल जाया करतें हैं।-
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¶ कुछ लोगों की पहचान उनके "नाम" से की जाती है...
तो कुछ लोगों की उनके "लिबास" से...
✧ ✧ 'लेकिन' ✧ ✧
यहां तो इंसान "नाम" और लीबास दोनों ही बदलता रहता है..¶
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ना मरते है उसके अदा पे, ना ही नाज पे।
मरते है तो उसके जिंदगी जिने के अंदाज पे।
ना मरते है उसके हुस्न पे, ना ही लिबास पे।
मरते है तो उसके रिश्ते निभाने के अंदाज पे।-