Tjhe paa kr bhi m kya paa leta..........tu apni abru bhi na bacha paya........tu wo sehar kha jo tehar jata..........tu wo lehar h jise koi bhi dariyaan baha le jata
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ठहरा वक्त, गुजरा ज़माना
शहर-ए-ख़ामोशा में मिलता
है अंतिम ठिकाना
मृगतृष्णा के बाजारों में
क़यामत की लहर है उठी
क़त्ल कर कायनात का
कलियुग की लहर सबसे ऊंची
उठी।।
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Tufano ki umad me maujon ka shok tha
Gahrayion me doob kar seharon ka khoj tha
तूफानों की उमड़ में मौजों का शौक था
गहराईयों में डूब का सहराओं का खोज था!-
मैं समुद्र की वो लहर हूँ
जो आती है, धरा से टकराती है
और वापस लौट जाती है
अकेले.....
और यदि कुछ वस्तु किनारे पर हो तो
उसे साथ ले तो जाती है पर खुद में डूबाती नहीं
वापस छोड़ ही जाती है-
जो ख्वाब लकीरों पर ,संभल कर चला करती थी
वो अब अक्सर इन लहरों पे ,बेफिक्र चला करती है-
अंधेरा था अब तक इस महफिल में बारिद.!
वो क्या आए रोशन जहान हो गया...!!!
"बारिद"...💕-
Yun Lehar Ki Tarha
Zindagi Beh Gayi
Kho Gaya Main
Kahi Sirf Tu Reh
Gayi-
वो मेरी जिंदगी में समुंद्र की बड़ी लहर की तरह आई
जो मुझे पूरा भीगा भी ना सकी और सूखा भी ना सकी-