SURESH Agrawal   (सुरेश अग्रवाल "बारिद"...)
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🌧️🌧️ D.O.B. 30-11-1978..(राजस्थान)insta .baarid369_quotes
Joined 7 September 2020


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YESTERDAY AT 13:58

जिंदगी हार कर भी जीती जाती है।।
पतझड़ के जाने पर ही बहार आती है।।
"बारिद"...369

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5 AUG AT 19:08

बड़ा सम्भाल कर रखा था दिल तिजोरी में हमने....
कमबख्त ने आकर महज नजरों से चुरा लिया।।
"बारिद"...369

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18 JUL AT 22:35

मरने से पहले मर रहा हूं।।
इतना घुट घुटकर जी रहा हूं।।

गिरने को तैयार हे छत घर की...
दीवारों से ये बात सुन रहा हूं।।
"बारिद"...369

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18 JUL AT 17:45

नींद से गुजारिश बस इतनी है हमारी।
आना तो कुछ इस तरह से आना।।

कि हमको फिर जगाने के लिए...
लोगों को आंखों से दरिया पड़े बहाना।।
"बारिद"...369

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16 JUL AT 23:05

खामोश रहकर लोग " लाजवाब" बन जाते हैं।।
जवाब देने से कई रिश्ते बेवक्त बिगड़ जाते हैं।।

यूं तो बादलों का बारिश से ज्यादा होता हे शोर...
मगर बारिश की बूंदों से कई दरिया मचल जाते हैं।।
"बारिद"...369

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15 JUL AT 18:35

ना संभाल कर रख पलकें वो तोहफा।।
जिसको हिफाजत से रखने को किसी ने दिया था।।
"बारिद"...369

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15 JUL AT 17:00

जिसने चांद को न देखा कभी गौर से,,
वो तारे आसमान के गिनाने लगते हैं।।

नए अमीरों के घर जाकर देखा हे हमने...
हर सामान की कीमत बताने लगते हैं।।
"बारिद"...369

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14 JUL AT 17:31

आईने को अपना समझने का सिला।
हमको देखो क्या खूब हे मिला।।

जरा सा हम हुए जब उससे दूर....
किसी और के गले लगते हुए मिला।।
"बारिद"...369

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13 JUL AT 18:20

किसके हक में सुनाऊं फैसला...
हर शख्स गुनाहगार लगता है।।

बदन पे छिड़ककर इत्र खुशबूदार...
कागज का फूल भी महकता है।।
"बारिद"...369

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10 JUL AT 13:59

मैं हिसाब नहीं रखता गुजरे हुए पलों का।।
ढेर क्यों लगाऊं घर में चुकाए हुए बिलों का।।
"बारिद"...369

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