मुझे पहचाना उस दिन लोगों ने।धूल हटाकर नाम पढ़ा जब कब्र पे।।___________"बारिद"...369 -
मुझे पहचाना उस दिन लोगों ने।धूल हटाकर नाम पढ़ा जब कब्र पे।।___________"बारिद"...369
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वक्त बहुत हे कम बताते हैं लोग।।करीब आकर ऐसे भी दूर जाते हैं लोग।।अकेले में याद बहुत करते हैं जो...भीड़ में अक्सर भूल जाते हैं लोग।।"बारिद"...369 -
वक्त बहुत हे कम बताते हैं लोग।।करीब आकर ऐसे भी दूर जाते हैं लोग।।अकेले में याद बहुत करते हैं जो...भीड़ में अक्सर भूल जाते हैं लोग।।"बारिद"...369
हिफाजत करना बेकार गया अपने ख्वाबों की।।लिखावट बदल गई अब पुरानी किताबों की।।"बारिद"...369 -
हिफाजत करना बेकार गया अपने ख्वाबों की।।लिखावट बदल गई अब पुरानी किताबों की।।"बारिद"...369
थोड़ी तो इजाजत मांग लेते अपने इरादों से।।नेक होने का सबूत देना ना पड़ता यूं ज़माने को।।"बारिद"...369 -
थोड़ी तो इजाजत मांग लेते अपने इरादों से।।नेक होने का सबूत देना ना पड़ता यूं ज़माने को।।"बारिद"...369
आग जो कल तक लगा रहे थे मेरे घर।।आज वो बनकर बादल छत की फेरी लगा रहे।।"बारिद"...369 -
आग जो कल तक लगा रहे थे मेरे घर।।आज वो बनकर बादल छत की फेरी लगा रहे।।"बारिद"...369
यूं तो कई हैं हवाओं के कारोबारी।।मगर रुख बदलना किसी को न आया।।"बारिद"...369 -
यूं तो कई हैं हवाओं के कारोबारी।।मगर रुख बदलना किसी को न आया।।"बारिद"...369
आईना बनकर गुजार दी जिंदगी हमने।।मर्जी से अपनी ना हंस पाए ना रोए कभी।।"बारिद"...369 -
आईना बनकर गुजार दी जिंदगी हमने।।मर्जी से अपनी ना हंस पाए ना रोए कभी।।"बारिद"...369
मंजिल थी करीब ,सफर भी था आसान।।कदम लड़खड़ाए और गिर पड़ा नादान।।"बारिद"...369 -
मंजिल थी करीब ,सफर भी था आसान।।कदम लड़खड़ाए और गिर पड़ा नादान।।"बारिद"...369
खयालों से ख्वाबों का सफर अजीब है।।वो दूर होकर भी कितना करीब है।।"बारिद"...369 -
खयालों से ख्वाबों का सफर अजीब है।।वो दूर होकर भी कितना करीब है।।"बारिद"...369
खामोशी उसकी यूं तो बहुत सताती हे।।मजबूरी उसकी फिर समझ आ जाती है।।महसूस करता हूं हालात हर पल उसके...अपना हाल वो किसी को बता नहीं पाती है।।"बारिद"...369 -
खामोशी उसकी यूं तो बहुत सताती हे।।मजबूरी उसकी फिर समझ आ जाती है।।महसूस करता हूं हालात हर पल उसके...अपना हाल वो किसी को बता नहीं पाती है।।"बारिद"...369