वर्षो बाद गम ने अपनी मौजूदगी दिखाई है,
उस रातों के बाद,हमें नींद नही आयी है।
ख़्वाबों में जाने के लिए मुंतजिर बढ़ आयी है,
उस रात के बाद हमें नींद कहाँ आयी है।
आँखें बंद करूँ जब,पाज़ेब की खनक के संग
कानों में वादियों की धुन,मोहब्बत ने सुनाई है।
ऐसा लगता है उनका जाना एक बुरा सपना था,
और चेतना आयी जब,तो उम्र ढल आयी है।
ज़िन्दगी के सफर में असमंजस कुछ यूं बन आयी है,
मौज-ए-हवा भी आज दर्द का बादल लें आयी है।
रास्ते हैं अनेक और पैरों में यादों की जंजीर लगाई है,
ये इश्क़ हमें आज,नजाने किस मोड़ पर ले आयी है।
कैसे बताऊं की कितनी मोहब्बत है उनसे,
जिसका पैमाना खुदा ने न बनाई है।
ये क़लम भी अब बेवफ़ाई करने लगे हैं,
जिसे सच लिखने की चूल मच आयी है।
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