काश,
मेरा दर्द , मेरे ही दर्द का मरहम बन जाये,
खोयी हुई कोई खुशबू मुझे खुशनुमा कर जाये,
काश,
बिखरते यादो के पन्ने उस किताब से बाहर आ जायें,
जिन्हें छुपाती रही मै लोगो से ,उन्ही का वो जवाब बन जाये,
काश,
समुन्दर की उफनती लहरें, अब मुझसे अन्जान हो जाये,
जो छलक रहे मेरी आँखो से ,अब मुझे वीरान कर जाये,
काश,
मेरे एहसास, मेरा ही दर्पण बन जाये,
निहारू तुम्हें इतना, कि मेरा श्रृंगार बन जाये,
काश......।।
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