लिख रही हूं तुझे हर पन्ने हर किताब में काश तुझे अपना लिखते वक्त ही कलम तोड़ दी होती......
-
ए काश कहीं ऐसा हो जाए,लबों पर उनके हमारा नाम आए ,
दिन भर वो रहते साथ हमारे,और रात को खयाल ज़हन में आए
ए काश कहीं ऐसा हो जाए,अगली सुबह फिर उनसे मुलाकात हो जाए
देखूं मैं छुप-छुप कर उनको,और मुझे देखे बिना वह भी रह ना पाए
ए काश कहीं ऐसा हो जाए,बीच सड़क पर हमारी तकरार हो जाए
खो जाएं हम एक दूसरे की आंखों में,और रोड पर ट्रैफिक जाम हो जाए
ए काश कहीं ऐसा हो जाए,हमारा भी दिल खो जाए.
पूरी दुनिया डूबी है प्यार में ,हमें भी यह रोग लग जाए
ए काश कहीं ऐसा होता ,इन आंखों में बस वही बस जाए
और कुछ ना देखे हम ,हर दम बस नजर वही आए
ए काश कहीं ऐसा हो जाए ,उनको भी हमसे प्यार हो जाए
जुड़ जाए दो दिलों की धड़कन ,हम हमेशा के लिए एक दूजे के हो जाए
ए काश कहीं ऐसा हो जाए ,हमारा प्यार बस बढ़ता ही जाए
आए चाहे कितनी भी आंधियां ,कभी हम दोनों को जुदा ना कर पाए...-
Man
Man krta h ke kahi door udhkr chali jaun
Jahan koi apne paraye ka bhedbhav na ho
Jahan dharm aur mazhab ke naampr khel na ho
Jahan na ho koi baimani shaitani
Jahan doston ke libaaz pe chupe koi dushman na ho
Jahan na koi garib, na koi ameer ho
Jahan satta ka koi khel na ho
Jahan pakshapat ka koi mel na ho
Jahan paraye bhi apne lage
Jahan humesha bs pyrka mausam rhe
Jahan harpal sth maa ka anchal rhe
Jahan humesha sth mere papa ka rhe
Jahan humesha ke liye apno ka sth rhe
Man krta h ke bs wahan udhkr chali jaun-
काश कोई ऐसा आये और मेरा हाथ थाम ,
मेरे तन्हा सफ़र का हमसफ़र बन जाए
काश कोई ऐसा आये और मेरा हाथ थाम,
मेरे बेरंग ज़िन्दगी में प्रेम का रंग भर जाए
-
Kash Key Aisa Hota Naa
Dil Mera Kabhi Rota Naa
Aur Teri Kadwi Baaton Ka
Khanjar Tu Chubhota Naa
काश के ऐसा होता ना
दिल मेरा कभी रोता ना
और तेरी कड़वी बातों का
खंजर तू चुभोता ना-
ये जिन्दगी है साहब ,यहाँ हर किसी का ''काश'' तो किसी का "अगर" रह ही जाता है ।।।
-
उनसे बिछड़ने का दुःख नहीं है साहब
बस उनसे मिला ही क्यों था इस बात गम है...-
काश,
मेरा दर्द , मेरे ही दर्द का मरहम बन जाये,
खोयी हुई कोई खुशबू मुझे खुशनुमा कर जाये,
काश,
बिखरते यादो के पन्ने उस किताब से बाहर आ जायें,
जिन्हें छुपाती रही मै लोगो से ,उन्ही का वो जवाब बन जाये,
काश,
समुन्दर की उफनती लहरें, अब मुझसे अन्जान हो जाये,
जो छलक रहे मेरी आँखो से ,अब मुझे वीरान कर जाये,
काश,
मेरे एहसास, मेरा ही दर्पण बन जाये,
निहारू तुम्हें इतना, कि मेरा श्रृंगार बन जाये,
काश......।।
-
नादान सी मोहब्बत थी मेरी, काश आप अपना लेते।
मोहब्बत करना अगर गुनाह था,
तो आप प्यार से कुछ सज़ा देते।
ख़ामोशी के भाषा से अनजान हैं हम,
प्यार ना था तो नफरत ही सही अपने लफ्ज़ों से बता देते।-