Jinki bhi 30 April ko shaadi hai wo 1 may ko Labour day pe labour leke aayega...?
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इस कोरोना काल में
पूछो तो किसकी याद
आई सबसे ज्यादा।
वो है मेरी हेल्पर
जो याद आई
सबसे ज्यादा।
आँखें खोलते ही
आज कल
मांजती हूँ बर्तन मैं।
झाड़ू पौछा
करते हुए
हर पल याद
उसको करती हूँ मैं।
जब भी लौटेगी
वो काम पर
उसकी नजर
उतारूंगी मैं।
नाचते हुए मन से
उसका स्वागत
करूंगी मैं।-
#kamwalibai...... The scrabbed wound
अपने बारे में , मैं क्या बताऊं जिंदगी भर किए थकावट है मेरी रोजमर्रा की कहानी l
आंख खुलते ही ,मानो धुंधली से सुबह शुरू हो जाती है लेकिन, मैं आखिर होती कौन हूं अपनी जिंदगी पर बस चलाने वाली l
शहर से कोसों दूर गांव में घर है मेरा जहां बसता है मेरा घनघोर सवेरा ,नाम तो वैसे है मेरा रानी, लेकिन मेरी आपबीती सुनोगे तो नाम पर मेरे होगी तुम्हें हैरानी l
किसी को झूठे बर्तन तो किसी के घर की सफाई इसी में तोड़ डाली है मैंने अपनी जिंदगी भर की कमाई l
किसी दिन 10 मिनट लेट क्या हुई तो मैडम बोली--- लो आज फिर लेट आई रानी साहिबा, समय कि इसको आखिर परवाह ही क्या l
मनमन ही मन में मंद मुस्काइ , एक औरत होकर तू औरत का दुख ना जान पाई l
थक गई हूं इतनी ज्यादा अब बस पहुंची सीधे घर ,मिले मेरे दिल को राहत गांव की वह सड़क को देखकर l
बड़ा अंधेरा तो बड़ा मेरे दिल दिल का डर , हर रात की तरह आज भी वो दरिंदा पीकर कर खड़ा होगा मेरी चौखट पर l
जैसे-तैसे हैं करवट मैंने मोड़ डाली, क्योंकि इन नन्ही आंखों में आंखों में बस्ती है मेरी दुनिया सारी l
आएगा एक नया कल, आएगा एक नया सवेरा ,आएगा कल नया सूरज ,मिटेगा घनघोर अंधेरा l
PART 1.... To be continued. ..-
कामवाली के नखरे और तेवर भी अजीब होते हैँ !
उन्हें मेमसाहब और काम पसंद के नहीं मिलते हैँ !!
Archana sinha-
সেই মাটিতে কয়েকটা পায়ের ছাপ.
সেই চায়ের দুখান শুকনো কাপ;
সেই বেসিনে কটা বাসন চুপচাপ;
সেই মাথায় হাত, কি করি বাপ রে বাপ.
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এর মানে
আজও কাজের বউটা আসেনি;
সব সময় গালিব গুলজার ভাবতে নেই.
#শুভদিন-