" जिन्दगी हर मोड़ पर सिखाती है जीना !
कभी अपनों से सीखा तो ,
कभी खुद के अनुभव से !"
अर्चना सिन्हा ✍️
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"खुद पर है भरोसा,
इसलिए मैं खास हूं !
खुद की फेवरेट हूं,
इसलिए आत्मविश्वास के साथ हूं ।"
अर्चना सिन्हा ✍️
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" खुशियों के अनमोल पल को
दिल में संजोए रखा !
किसी की नजर न लगे ,
दूसरे से उसे छुपाए रखा !!
अर्चना सिन्हा ✍️
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" इतना प्यार कभी न करना कि ,
तुम मेरी जरूरत बन जाओ !
साथ मेरा इतना देना तुम कि ,
स्वालंबी बन अपने लिए जीना सीख जाऊं !!"
अर्चना सिन्हा ✍️
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मां
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सब कहते है मैं तुम जैसी हूं ,
शक्ल सूरत भी तुमसे मिलती है ,
तेरी परछाई हूं मां ,
तुम जैसी अब दिखने लगी हूं !
झुझलाहट भी तेरी जैसी ,
क्षण में प्यार भी तुम जैसा करने लगी हूं !
हर काम को परफेक्ट करने में ,
अब समय को महत्व देने लगी हूं !
पसंद कुछ एक से हो गए है ,
मेरे सारे नखरे अब ढह गए है ,
जिस काम के लिए डांटती थी तुम ,
देखो ,वो न जाने कैसे खुद व खुद करने लगी हूं ।
थोड़ी जिद्दी तुम जैसी हूं ,
काम करने की ठान लू तो करके छोड़ती हूं
वक्त का फेर है केवल देखो ,
कितना मैं बदल गई हूं ,
बिल्कुल तुम जैसा सोचने लगी हूं ।"
अर्चना सिन्हा ✍️-
" कुछ वक्त चुरा लूं अपने लिए ,
ये ख्याल हमेशा जहन में आता है !
अकेले में दिल की बात लिखूं ,
कई बार मन करता लेकिन कलम रुक जाता है !
अनेक विचार दिल में उमड़ते ,
लहरों सा दिमाग में टकराते और वापस लौट जाते !
कभी खुद का ख्याल तो कभी लोगों का विचार आता है
क्या सोचती है "अर्चू "लिख दे मन कई बार कहता है "
अर्चना सिन्हा ✍️
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" दिल के जज्बात दिल में दफन हो जाते है ,
ओठों तक आते ही अल्फाज बदल जाते !
दर्द भी छुप जाते नकाब लगे चेहरे की तरह ,
हाले दिल की बात कहां किसी से कह पाते ??"
अर्चना सिन्हा ✍️-
" अच्छा और बुरा कोई नहीं होता ,
वक्त ही है जो किसी को अच्छा ,
तो किसी को बुरा बना देता है !
शिकायत कभी वक्त से नहीं की ,
क्यों तुम इतना बदलता है ??
किसी को धनी से गरीब तो ,
किसी को गरीब से धनी बनाने में ,
तुम्हे वक्त क्या मजा मिलता है ?"
अर्चना सिन्हा ✍️
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"कुछ ख़्वाब दिल के ,
कुछ अरमान ,
वक्त के साथ फिसल जाता है ,
आखिर क्यों नहीं ...
समझ पाता कोई दिल की बात ?"
अर्चना सिन्हा✍️-
सावन का महीना
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सावन का महीना
बारिश की फुहार ,
याद आता अपना बचपन ,
बारिश को देख बार बार !
बारिश की फुहार में ,
भींगते थे कभी हम ,
कागज की नाव बना ,
बारिश की जमा(ठहरे) पानी में ,
चलातें थे कश्ती बड़े शान से हम ,
ऐसे बीते थे अपना प्यारा बचपन ।
तपती गर्मी के बाद ,
बारिश की फुहार देख ,
भींगने को मचलते थे कई बार हम ,
बहुत प्यारा लगता था सावन का मौसम !
सावन में हाथों में मेंहदी रचाते ,
मेंहदी का रंग लाल हाथो में देख बहुत खुश हो जाते ,
प्यार की गहराई हाथो में चढ़े लाल रंग से आकते,
सावन का झूला
सखियों के संग अनेक बार है ,
भगवान का भजन और गीत के संग ,
समरण करते थे भगवान को हम !
सावन का महीना ,
बारिश की फुहार धरा में छाई हरियाली बेशुमार,
चारो तरह खिलते रंग बिरंगे फूल हजार !
आज भी प्यारा लगता है सावन का महीना ,
बारिश को देख भींगने को मचलता है हरबार मन मेरा ।
धन्यवाद
अर्चना सिन्हा ✍️
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