हां वो भीड़ में भी मुख्तलिफ नज़र आते थे जनाब,
एक ज़िंदादिल कलाकार ज़िन्दगी को अलविदा कह गए ।-
शब्दों के बहते समुद्र में,मै कलम की नौका पे सवार हू।
जो सबके मन की बात कह दे,मै वो छोटा सा कलाकार हू।।-
कुछ भी लिखना इतना सरल नहीं
यार तुम पुछो हम फनकारों से
प्यार के नाम पर लोहा काट रहे हैं
हम इन कागज की तलवारों से-
एक गहरे लगाव की कीमत चुकाता फनकार हूँ मैं
खुदकी दर्दनाक कहानी का मुस्कुराता किरदार हूँ मैं-
औरों की ज़िन्दगी तराशते-तराशते ज़िन्दगी को तरस गए
वाह रे नसीब, तुझ सा कलाकार नही देखा-
शायद अपने हुनर का उस्ताद था वो
उर्दू की शायरी का आमाद था वो
बात इश्क़ की हो या जि़न्दगी की हो
लब्जों पर 'राहत' ही एक नाम था वो-
वाकिफ हैं हम भी,
बदलते रंगों के दुनिया से..
पर लाख मजबूरी सही,
अजमाया ना कभी खुद पे..-
अपनी धुन तो हर कोई गुनगुनाले
असली कलाकार वही जो
दुसरो के सुर में अपना सुर मिला ले.....!!-
कलाकार मरा तो पूरा जग शोक में है,
उस विधवा भौजी का क्या जिसका बच्चा कोख में है।
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