QUOTES ON #KABHIKABHI

#kabhikabhi quotes

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13 SEP 2020 AT 20:57

जरूरी नहीं फुर्सत के पलो में,
सिर्फ जिंदगी कि इंतजार होती है,
कभी-कभी मौत का भी इंतजार होती है....

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4 FEB 2020 AT 15:36

Kabhi kabhi kuch rishto ke naam jaruri nhi hote,
Chand ahsas hi hume unse jode rhti hai.

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Kabhi Kabhi

Kisi se aaisa Rishta bhi ban jaata hai
Kee Har Rishton Se pehele
Dil main usee kaa khayaal aata hai

कभी कभी
किसी से ऐसा रिश्ता भी बन जाता हैं
की हर रिश्तों से पहले
दिल में बस उसी का खयाल आता हैं

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25 MAY 2020 AT 4:34

हर वक्त मुसकुराना जरूरी तो नहीं..

क्योंकि

कभी कभी दुसरों को दिखाने से ज्यादा
खुद को समझना जरुरी होता है ॥

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25 SEP 2019 AT 16:08

कभी-कभी हम सोचते है ,कभी-कभी
हम खुद को खोजते है...
टकराते है दीवारों से माथा पटकतें है ,
कूरेदते हैं बिखरे हुए ज्जबीतों को तो...
कभी बन्द हुई किताबो को खोलते हैं ,
पलटते हैं पन्नों को तो दर्द के सिवा कुछ नहीमिलता...
कहीं देखते है खुद को घुट-घुट
कर जीते हुए...पल-पल हर पल खुद को ,
खुद के हाथों खत्म करते हुए...
मिलते हैं बीती हुई यादों से ,उन खोखले हो
चुके इरादों से ,उन बचकाने वादों से...
आँसुओं का इक गहरा समन्दर है यहाँ,
कभी उस दरवाजे,को खोलतें हैं,
झांकते हैं अन्दरतो पता चलता है कि कैसे एक...
युग बीत गया लेकिन, अपनाअसर
हम पर छोड गया...
टूटी हुई उम्मीदों को देखा!..
झूठी शानों को देखा!!.. कि कैसे हम ने
खुद को तोड लिया...पंख कटवाए,
लेकिन.. सब से नाता तोड लिया ,
छोड आए दिल को, उस बन्द किताब में,
हर मंजर से मुख मोड लिया...
जब सुरखरू हुए हम खुद से,तो हर दर्द से...
नाता तोड लिया,आजाद हैं ,
हम अब उस घुटन से ,जिस दिन का
उसको छोड दिया।

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कभी-कभी बेशक ऐसे
लोगों को पलट कर जवाब
देना ज़रूरी हो जाता हैं
जो हमारी खामोशी को
अपना हथियार समझ
कर अपने हदों को पार
कर अपने नीचता पर
उतर आते हैं...

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14 OCT 2019 AT 17:19

'कभी-कभी'
कभी-कभी तो सोचता हूँ कि जब उसके एक ख्याल से यूँ महक उठता हूँ मैं तो उसके साथ से क्या हस्र मेरा होगा
कभी-कभी तो इस ख़्याल से चहक उठता हूँ मैं कि जब वो मेरी महबूबा है तो मेरा ये हाल है तो जब वो मेरी हमसफर बन जाएगी तो क्या खुबसूरत समां होगा
कभी-कभी तो ये सवाल ही मेरे चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान ला देती हैं कि जिसके ख्याल भर सँवर जाता हूँ मैं तो जब साक्षात होंगीं शामोशहर उसका दीदार तो मेरी खुशियों का क्या ठिकाना होगा
कभी-कभी तो इस बात की गहराई में डूब जाता हूँ मैं कि आज सिर्फ़ जिसके बारे में सोचकर खुद पर गुरूरियत अपने हद को पार करके बेहद हो गई हैं तो कल जब वो मेरी बन जाएगी तो मेरी गुरूर और मगरूरियत का क्या नज़ारा होगा
कभी-कभी इस बात को सोच कर हैरान हो जाता हूँ मैं कि कल की ही तो बात है कि एकतन्हामुसाफ़िर बन कर मैं दर्द और बेवफ़ाई भरे नज्म लिखा करता था
एक आज का दिन है कि मोहब्बत ही मोहब्बत निकल रही है कलम से मेरे वो भी रूहानियत से भरी तो सोचो कल इस रूहानियत की शिद्दत का हमपर क्या खुबसूरत असर होगा
यूँही तो बिन मिले खोए रहते हैं एक दूजे के नशे में जब मिल जाएँगे तो इस रूहानी मिलन के बाद हमारा बाकमाल सा क्या हशर होगा

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27 OCT 2020 AT 1:43

कभी कभी
कुछ कहने के लिए
शब्द नहीं होते मेरे पास
बस
एक एहसाह होता है
जिसे तुम समझ नहीं पाते
कभी कभी।

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20 SEP 2022 AT 14:40

कभी-कभी की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अजीत' ...
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना..

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31 MAY 2020 AT 22:55

कभी-कभी हमें जिन्दगी की अनजान राहों पर ,
बहुत ज्यादा प्यारा-सा हमसफ़र मिल जाता है ,
और फ़िर हम उसे खुद से भी ज्यादा चाहने लगते हैं..!!!

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