Shabdoka Ka Sagar 【 शब्दोंका सागर 】   (शब्दोंका सागर)
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Joined 27 June 2019


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Joined 27 June 2019

Kab tak main khali Jeb leke ghumu
Mujhe bhi Ameer hona hai
Lagta hai dusara rasta apanana padega
Kyu ki Mehnat Puri Umar karte hai
Lekin Akhir main sab kuch mil Jataa hai
Akhir main jab zindagi Maut ke samne haar chuki hoti hai

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नज़र नहीं आते अब
किस शहर मैं बसेरा है आपका
हर शहर छान मारा हमने
पर ये कोनसा शहर है
जो अब तक हमें नहीं मिला

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# बस एक नींद

नींद गेहेरी है रात बेहेरी है
कोई ना मिले सपनों में
अब ये नींद मेरी है
जगाना मत
सुबह सब कुछ सुनती है
हम खुद जाग जाएंगे
बस एक नींद बाकी है

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मुझसे पूछती जिन्दगी है
किस चीज की कमी है
हर बार मैं यहीं बता देता हूं
बस तेरी ही कमी है

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मोहब्बत हुई उनसे
बस एक मुलाकात में
दीवाने हुए हम हर एक बात पे
अब पूरी रात नींद नहीं आती
जब की पेहेले पूरा दिन कम पड जाता सोने में

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कभी इंसान था मै भी
अब ना जानें क्या हूं मैं
खुदको अकेला पाया है मैंने
जब की हर अपना है साथ में

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ना कुछ उसने कहा
ना हमें केहेने दिया
वो पल यू ही चला गया
और बस यादों में बस गया

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गम भुलाए भूलते नहीं
तुम पास हो फिर भी नींद मिलती नहीं
बता दिया करो जो दिल में है
बेवजा रात भर यूंही हमें जगाएं ना रखो

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