एकतरफा इश्क़ कम्भख्त
अधूरा ही रह जाता है
अब इबादत में मांगू क्या
वो खुदा भी तो उसका
जिक्र सुनकर ही रुठ जाते हैं-
आँसू मेरी आँखों में है
और लोग कहते हैं
दिल उसका टूटा है
तन्हा में रह गयी इस भीड़ में
और लोग कहते हैं
उसको न सताओ वो अकेला है-
उम्र-ए-दराज ये शख़्स तिरी इबादत करेगा,
बस तू अपनी जिंदगी में मसरूफ हो जाए|
यूँ अपनी यादों के अफसाने मेरे पास रहने दो,
फिर किस दिन न जाने जिंदगी की शाम ढल जाए ||
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जिस्म-ए-बाजार में मोहब्बत
रूहानी ढूंढ़ने निकले हैं
लगता है जैसे
मुर्दों के जहां में
जिंदगानी ढूंढने निकले हैं-
तन्हाई, तकलीफ़, तजुर्बा, ताउम्र बस यही सौगातें पायी है
कुछ और जो मांगा जिंदगी से, ये मौत का तोहफ़ा लायी है-
जहां अच्छाई होती हैं, वहा बुराई भी होती हैं
और जहां बुराई होती हैं वहा अच्छाई भी होती हैं....
लेकिन ऐसा क्यों होता हैं सबको बुराई नजर आता हैं अच्छाई नहीं.....-
हां परख है तुझे हीरे की
तू जोहरी से कम तो नहीं
कर ले अपना हर ख्वाब पूरा
जिंदगी मौत से कम तो नहीं-
Khwahison ka diya jlakar,
Ummidon per chl rhe hai,
Saans lene wala to har shakhs
jinda h, magar kitne ji rhe hai.
Khwahison ka diya jlakr...🔥-
समाज क्या सोचेगा यह सोच कर हम अपनी जान क्यों दें जबकि समाज किसी का सगा नहीं होता....
अगर आपसे कोई गलती हो गई हो तो उसको सुधारिए अच्छे बनिए लेकिन अपना जान मत दीजिए ऐसे बनिए कि जो लोग आपका शिकायत करता फिरता था वो आपका तारीफ करने पर मजबूर हो जाए.....
आपको क्या लगता हैं आपके मरने के बाद सब ठीक हो जायेगा लेकिन नहीं ये समाज हैं मरने के बाद भी आपका पीछा नहीं छोड़ेगा...
अपने हक के लिए लड़ना सीखो अपना जान दे कर आज तक किसी ने कुछ हासिल नहीं किया...
हमें एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए किसी और के वजह से हम अपना जान क्यों दें।
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(कुशल प्रतिभा)
पर्वत भी असफल हैं, ज्वालामुखी को दबाने में..!
देखे हैं प्रतिभाशोषी तुझ जैसे,बहुतेरे इस ज़माने में..!
थर्राएगा कभी अस्तित्व तेरा और निखरेगा हुनर मेरा.. !
क्योंकि दब नहीं सकता कनक कभी तहखाने में..!!
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