हर शेर सच्चे ईमान से लाता हूँ ,
मैं गज़लें सीधा आसमान से लाता हूँ ,
इतनी भी क्या जल्दी है थोडा सब्र करो ,
तूफ़ान से कश्ती भी मैं इत्मीनान से लाता हूँ ।-
हो जाती है इश्क़ की आदत यकायक,
मुश्किल है तो चाहना किसी को इत्मिनान से-
तह कर के रख दी हैं तेरी यादें एक कोने में
कभी और इत्मीनान से इन्हें फिर खोलूंगी
दुबारा याद करके वो गुज़रे हुए पल
एक बार फिर...थोड़ा और रो लूंगी
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सवाल हमसे ही हमारा छीन लिया
फिर कहते हो जवाब तुमने क्या दिया
दिल से हमारे ऐसा क्या लगाव हुआ
जो सब्र से आज तुम्हारा मिलाप हुआ-
अब मेरे पास कुछ खास नहीं है कहने को
सुनूंगी तुम्हें दिल से , तुम इत्मीनान रखना-
Chale jao ab door humse, ab man nhi krta
Itna bhar chuka hai man tumse ki ab ruk nhi sakta
Tune jo yaadein di wo bahot thi mere liye
Ab fir se mat laut ke aana buss darr yahi lagta-
मैंने दिल से कहा थोड़ा इंतज़ार कर,
चाय पे चाय पी और थोड़ा इत्मीनान रख,
कुछ घड़ियां लगती है सदियों जैसी
बस, जहन में उनकी यादों का सामान रख.-
क्यों इतना तंग करती है ए ज़िंदगी
चल ना कहीं इत्मिनान से बैठ कर बातें करते हैं।-
Mujhse to itminaan se ishq karna tum..
Abhi to khair umr hai tumhari dil lagane ki 😊😊😊-
ज़िन्दगी ने जो भी दिया, उसे पूरा समझ इत्मीनान कीजिये,
आधा समझ, सबकी दौड़ में, आधी ज़िन्दगी न ज़ाया कीजिये।
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