तुम बनके वफा !
मेरे दामन से लिपटे हुए ....
तुम प्रेम ग्रंन्थियों से ,
बसे मेरी रगों में ....
तृप्त करते विश्वास को ...
खोकर मुझमें ,
वहीं अन्तरमन में बसते हुए ....
ह्रदय की मौन दीवारों को ....
प्रेम की कविताओं मे ,
परिवर्तित करते हुए ....
हर रंग में रचते हुए ,
अंतिम सांसो की लय में ....
बसते हुए !
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