-
Hindi Ke Paratish Ke Peeche Na Hai
Mazahab Koi,
Na Urdu Ke Peeche Dharam Hai Koi,
Hindi ,Urdu Hai Na Hindu Ki Na Muslman Ki,
Yeah Sarjuba Hai Hindustan Ki.
Roz Ladte Roz Marte Hai Sarhadh Pr
Hum Roz Ulz Teh Hai ,
Sisyasti Me Dhoon Log Roz Jhagadte Hai,
Puch Kabhi Uss Siphai Ki MaaSe
Ki Girya Ki Voh Raat
Jab Khoya Sishyati Jung Apne Voh Halat.
Bandh Rakha Hai Bharso Se
Bhasha Ko Apne Aann Se
Hindi-Hindu Ki Urdu -Muslman Ki ,
Ab Sune Yeah Log Na Koi Bhasha Hai
Hindu Ki Nai Hi Koi Muslman Ki
Yeah Bhasa Hai Hindustan Ki..
-
काश कुछ इस तरह इंसानियत छा जाए,
इंसान कलमा पढ़े खुदा का और सपने में राम आ जाये।❤-
Hamein yun na hindu muslim me uljhaya kro,
Ham sb hai hindustani bas yhi btaya kro..
Aur jo na tmse pyar banta jae hm mein ,
Toh kam se kam yeh nafrat ka zehar toh na pilaya karo..!!-
न लड़ो मजहब , जाति ,
रंग के आधार पर ,
हिंदुस्तान बिखर जाएगा ,
रहो मिल कर एक साथ ,
हिंदुस्तान निखर जाएगा .....-
तुम ( हिन्दू- मुस्लिम) क्यों लड़ रहे,
इन सत्ता के दुकानदारों के कहने पर,
इनकी तो दुकान चल जाएगी,
शायद छत भी ना बचे ,
तुम्हे रहने को ।
-
साहिब शियासत के चलाये चलते हैं हम,
इतनी समझ कहाँ जो खुद में खुद को समझ सके।
खुद में हिन्दू मुस्लिम ढुंढने चले हैं हम,
इतनी समझ कहाँ जो इंसान में इंसान को ढुंढ सके।-
न हिन्दू ईमान से बुरा है,ना बुरा है मुस्लिम ईमान से,
मेरा मुल्क अगर खतरे में है, तो सिर्फ और सिर्फ बेईमान से।-
।।।सरहदे।।।
किसी ने हिंदू में बाटा, किसी ने मुसलमान में बाटा।
सिख, ईसाई हर धर्म में बाटा।।
ज़मीं बाटी, ज़मीर बाटा, पानी तक बाट दिया।
दीवार नही खींची, तो सरहद खींच कर बाट दिया।।
इंसान से खुशनसीब, तो परिंदे हो गए।
बिना सरहद की परवाह किए, खुले आसमां के हो गए।।-
अगर हम अपनी क़िस्मत खुद ही लिखते
तो इस खुदा की जरूरत ही क्या पड़ती...-