तेरी याद में अक्सर
रातें तन्हाई में गुजरती है
करवट बदल बदल कर मेरी जान जाती है !
याद करती हूँ अहम पल को जिसमें लाखों सपनें बिछा कर राह पे बैठे थे !!
चारों ओर घटा छा जाती है
तेरे याद में आँखों के आश्रु से !!
चाँदनी रात में भी तन्हाई सा लगता है ,
अब तो अज़नबी भी बेगाना लगता है,
ना वो जज्बा रहा ना वो ख़ौफ़
हिम्मत तो बहुत है कुछ कर जाने को
फिर तेरी तन्हाई लौट के ले आती है!
तेरी यादों में अक्सर मेरे आँखें सूज जाती हैं
और टिम -टिमाते तारे भी अब फीके लगते हैं !!
अब तो ख़ुद तेरी यादों का पहनावा ओढ़ लिया है मैंने
ना वो तन्हाई की जरूरत रही न किसी तकिए की ,
ख़ुद को समेट लिया है तेरे यादों के सिरवटो में
अब आँखें बन्द करो तेरी याद सामने होती है
उस चन्द लम्हों को सोच कर ख़ुद को कोसती हूँ !!
-
मेरा अपना आस्तित्व ही क्या ?
इस बेरहम जमाने में।।
READ POEM IN CAPTION BELOW 👇👇
-
जग में सबसे प्यारा
सबसे न्यारा
हिन्दुस्तान हमारा !!
मूख पे सौंदर्य लाने वाला
हिन्दुस्तान हमारा !!
जहाँ लोग वतन के लिए जीते
और वतन के लिए मरते है ,
वतन के ही वास्ते
सर अपना कलम करते है !
वो हिन्दुस्तान हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा !!
जहाँ डाल -डाल पे सोने की चिड़िया
और स्वर्ण मन्दिर का था बसेरा
कोहिनूर सा प्यारा वो हिन्दुस्तान हमारा !!
हिन्दुस्तान हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा !!
सब एकता और निष्ठा से रहते है
न जाति, न रंग, न भाषा, न रूप
सबको अपना मीत ही कहते हैं
वो हिन्दुस्तान हमारा
सबसे प्यारा सबसे भिन्न
हिन्दुस्तान हमारा !!
स्वर्ण सी मिट्टी है
गजब सी सुगन्ध
इस मिट्टी की सौन्दर्य में
जिस पुण्यधरा में श्रीकृष्ण जी का है वास
सबसे अनमोल सबसे अद्भुत
हिन्दुस्तान हमारा !!
-
मैं ताउम्र किसका इंतेज़ार करूं....
इंतेज़ार के आगे कुछ दिखता भी नही !!
फिर कम्भख्त मैं किस चीज़ का इंतेज़ार करूं....
और जो आया ना लौट कर अभी तक !!
फिर उसका इंतेज़ार ताउम्र कैसे करूं....
!!!!-
मेरी लिखी कवितायें मेरे घर की गजलें होने को है,
मेरे घर भी एक बेटी जन्म लेने को है.
☘Women's day special ☘-
"प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।"
- रबीन्द्रनाथ टैगोर-
यादों का राब्ता ...
तेरे शहर से होकर जायेगा
तुम करना न कोई तकल्लुफ
हवा का झोका है...
पलभर में ही गुजर जायेगा-
सुनो ना
बिना तुम्हारे,
सिवा तुम्हारे किसी और पे नहीं मरना है
मुझे एक तरफा बस एक तरफा तुझसे प्यार करना है
धड़क लेगा दिल मेरा बिना तुम्हारे धड़कन के
कह दूंगा पराया तुम्हे बिना हृदय, बिना मन के
ना होना है प्रेम नदियां मुझे, मुझे तो बन बूंदे बिखरना है
मुझे एक तरफा बस एक तरफा तुझसे प्यार करना है
कभी मुलाकात होगी तो तुम्हें नजरअंदाज कर देंगे
तुम्हरे हृदय प्रेमी को प्रेम पुष्प से साज कर देंगे
पर नहीं कहेंगे तुम्हे अपना, तुम्हें पराया कह के बिछड़ना है
मुझे एक तरफा बस एक तरफा तुझसे प्यार करना है
मगर हर एक शाम तन्हाई में देखेंगे तस्वीर तेरी
हा बांध कर रखना चाहती है मुझे नेत्र की जंजीर तेरी
इसलिए, हर सुबह तेरे दीदार के लिए तेरी गली से होकर गुजरना है
मुझे एक तरफा बस एक तरफा तुझसे प्यार करना है
मेरे एक
तरफा मोहब्बत में ना हक है तेरा ना हिस्सा है
मगर तू उसमे मुख्य किरदार है लिखा जो मैंने किस्सा है
-