QUOTES ON #HINDIKOSH

#hindikosh quotes

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14 SEP 2019 AT 23:54

हिंदी से अच्छी कोई भाषा नहीं,
हिंदी की कोई परिभाषा नहीं,
हिंदी की कोई अभिलाषा नहीं
हिंदी अपने आप में कुशलता है।
हिंदी भाव है,परिपूर्णतः है,
हिंदी हमारी उपलब्धी है
,हिंदी पर्व को एक दिन में मना पाना असंभव है,
इसलिए इसके गौरव को रोज़ जीना संभव है।
हिंदी में मेरी कम है रचना,
परन्तु मुझे हिंदी से है अर्चना।
हिंदी में मुझे बहुत कुछ सीखना है,
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं ,रूप रेखा है,
हिंदी सम्प्रेषण की वेशभूषा है।

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8 MAY 2020 AT 0:13

अपनी ही तलाश में जाने कब से भटक रही हूं।
कब थमेगा यह सफर.. अब मैं थोड़ा थक रही हूं।।

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20 MAY 2020 AT 10:42



हर पल सिर्फ लाभ - हानि की ही अपने जिंदगी में नहीं करें बातें,
बस आप अपनी जिंदगी में बांटते चले सबको प्यार भरी सौगातें।

गैर भी बन जायेंगे एक दिन आपके अपने,
हकीकत में बदल जायेंगे एक दिन आपके सारे सपनें।

अपनों के ही खुशियों में छिपी होती है वास्तविक खुशी,
अपनों के सुख के लिए कर दे जो अपना सुख न्योछावर
वही है इस दुनिया में सबसे ज्यादा सुखी।

जो निस्वार्थ भाव से सबकी सेवा करते हैं ,
वहीं ब्रह्म ज्ञान प्राप्ति की ओर बढ़ते हैं।

हर पल सिर्फ लाभ - हानि की ही अपने जिंदगी में नहीं करें बातें,
बस आप अपनी जिंदगी में बांटते चले सबको प्यार भरी सौगातें।
— 💗🌛Moon🌛💗


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25 MAR 2020 AT 23:11

लौटा है फिर से, बीता जमाना |
चिड़ियों की चहचहाहट, कोयल का गाना |

नदियों में दिखी फिर से निर्मल जल की धारा |
जलचरों को मिला फिर से, नदियों संग किनारा |

तेरे शहर की गलियां पड़ी सुनी वीरान सी |
लाशों का मंजर है, दिखे पूरी श्मशान सी |

तरक्की को पाने चक्रव्यूह, मानुष तूने रचाया है |
प्रकृति ने तुझे अब, तेरे ही जाल में फंसाया है |

बेजुबान जीवों की हाय, तुझे अब सताएगी |
ये प्रकृति तुझे तेरे कर्मो का फल, सूत समेत लौटाएगी|

प्रकृति के हर हिस्से को, तूने व्यापार बनाया है |
लालच से तेरे तेरा ईमान डगमगाया है |

जीना है गर तुझे, ये बात जान ले तू |
तू ही नहीं सब कुछ, ये बात मान ले तू |

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1 AUG 2020 AT 19:21

काश!सड़को की भाँति जिन्दगी भी सीधी होती,
जो बिना किसी बाँधा के चलती जाती।

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31 JUL 2020 AT 12:03

साहित्य के प्रेमी धनपतराय
साहित्य ही जिनको गूढा़ भाय
कहानी,जीवनी और उपन्यास
संस्मरण कला के थे वो ध्याय
गोदान ,गबन कर्बला से प्रारम्भ
बडे़ घर की बेटी है कायाकल्प
जीवन के प्रत्येक भँवर में
प्रतिक्षण जो जीवन बिताय
कहानी की पीडा़ प्रेम में
निर्मम मन का प्रेमी कहलाये
साहित्य के प्रेमी धनपतराय।।

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12 NOV 2020 AT 9:50

दुनियादारी
(05)
आश्चर्य !
बहुत बार हमें आश्चर्य हुआ है,
लोगों के बर्ताव देखकर |
शिकायत करने की बजाय हमने लोगों से दूरी बना ली
और हम दुनिया से अलग हो गए |

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20 APR 2018 AT 13:23

कुछ यूं मिले थे कल ,
आज हमराज बन गये ।

जो कल तक थे ख्वाब,
वो ज़ान बन गए ।

रोज़ रोज़ के भाग-दौड़ में,
ज़ान-ए-मुब्तला के सुकूं बन गए ।

अब ख़ुदि परस्ती न रहीं,
वो ख़ुदा बन गए ।

कुछ यूं मिले थे कल ,
आज हमराज बन गये ।।

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