Megha Tripathi   (Megha Tripathi)
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Joined 3 October 2019


Joined 3 October 2019
11 APR 2024 AT 16:16

बड़ी हैसियत है कर्मों के बंधन की,
आत्मा के बंधन भी नीलाम हो जाते हैं।।

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3 APR 2024 AT 16:49

घर..।।

घर है तो छत है, घर है तो नींव है।
घर है तो खुशियां हैं, घर है तो उम्मीद है।।

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3 DEC 2023 AT 17:24

'हम एक हैं' में फर्क की कोई गुंजाइश नहीं होती।
यदि फर्क है तो आपने इस बात को पूर्ण रूप से स्वीकारा ही नही है।

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28 SEP 2023 AT 18:47

बड़ी सी दुनिया में मेरा छोटा सा संसार हो तुम।
जब भी टटोलूं खुद को तो मेरा सार हो तुम।
हाथों की लकीरें क्या कहती हैं नही जानती मैं।
बस मेरे अंदर बसे प्रेम का मूर्त अवतार हो तुम।।

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16 MAR 2023 AT 1:29

रिश्ते कभी धूमिल नही होते।
ये तो हम हैं जो चश्मे साफ करना भूल जाते हैं।

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17 NOV 2022 AT 21:58

बुढ़ापा यदि रोग है तो निःस्वार्थ प्रेम उसका इलाज़।

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5 NOV 2022 AT 8:33

अपने व्यवहार में संयम की आवश्यकता सबसे अधिक एक माँ को होती है।
अपने संस्कारों से एक नवीन पीढ़ी को सींचने का दायित्व होता है उसके कंधों पर।

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1 OCT 2022 AT 22:57

रिश्ते एक वक्त के बाद उबाऊ से हो गये..।
उन्हे ज़िंदादिल बनाने की कोशिश की क्या आपने?

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6 SEP 2022 AT 15:50

रोकना तुम्हारा अधिकार था, फिर भी तुमने जाने दिया।
रुकती। रुकना मेरा फ़र्ज़ था, फ़िर भी तुमने जाने दिया..।।

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30 MAY 2022 AT 0:06

अधिकारों का बंटवारा करने से पहले कर्तव्यों का बंटवारा ज़रूर करें। कर्तव्य के निर्वहन से अधिकारों की सीमा तय करें।

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