बड़ी हैसियत है कर्मों के बंधन की,
आत्मा के बंधन भी नीलाम हो जाते हैं।।
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घर..।।
घर है तो छत है, घर है तो नींव है।
घर है तो खुशियां हैं, घर है तो उम्मीद है।।-
'हम एक हैं' में फर्क की कोई गुंजाइश नहीं होती।
यदि फर्क है तो आपने इस बात को पूर्ण रूप से स्वीकारा ही नही है।-
बड़ी सी दुनिया में मेरा छोटा सा संसार हो तुम।
जब भी टटोलूं खुद को तो मेरा सार हो तुम।
हाथों की लकीरें क्या कहती हैं नही जानती मैं।
बस मेरे अंदर बसे प्रेम का मूर्त अवतार हो तुम।।-
रिश्ते कभी धूमिल नही होते।
ये तो हम हैं जो चश्मे साफ करना भूल जाते हैं।-
अपने व्यवहार में संयम की आवश्यकता सबसे अधिक एक माँ को होती है।
अपने संस्कारों से एक नवीन पीढ़ी को सींचने का दायित्व होता है उसके कंधों पर।-
रिश्ते एक वक्त के बाद उबाऊ से हो गये..।
उन्हे ज़िंदादिल बनाने की कोशिश की क्या आपने?-
रोकना तुम्हारा अधिकार था, फिर भी तुमने जाने दिया।
रुकती। रुकना मेरा फ़र्ज़ था, फ़िर भी तुमने जाने दिया..।।-
अधिकारों का बंटवारा करने से पहले कर्तव्यों का बंटवारा ज़रूर करें। कर्तव्य के निर्वहन से अधिकारों की सीमा तय करें।
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