सौदा करके माकाँ बेच दिया.
दादा की ताउम्र गुजरी थी जहां.
मरने के बाद वो इंसाँ बेच दिया.
खरीदने आए पेशेवर कैसे कैसे.
जहाँ कीमत ज्यादा मिली वहाँ.
बेचने वाले ने ईमाँ बेच दिया.
छाया कम हो गयी ज़मीं से मेरी.
मेरे हिस्से ना जाये रुख वो कहीं.
ताऊ ने मेरा वो अरमाँ बेच दिया.
गैरत बेच के फिर शहर जाना था.
वफा बेश कीमती थी जिसकी
जाते जाते वो बेजुबाँ बेच दिया.
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बहुत घूम आये सकूँ की तलाश में हम,
लेकिन घर जैसा सुकून कहीं और न मिला ।।-
है अपना कोई मेल नहीं, हम अलग राह पर जाते हैं
तुम आसमान मैं धरती हूँ, दोनों विलोम कहलाते हैं
है शहर तुम्हारा निर्मोही, ये वहाँ जुदा हो जाते हैं
आकर देखो कभी पहाड़ों में, ये यहाँ गले लग जाते हैं
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to paint the forgotten skies
to welcome the clouds again
to drench in the rain of regrets
for having slaved my sky
to the wings of this world
and its wicked desire.-
तुम्हारे बग़ैर तो जैसे हर लम्हा वीरान है
जिन्दगी लगती अब कुछ पल की मेहमान है
तेरे शहर के तो बादल भी मुझे जानते थे
यहाँ का तो पूरा आसमाँ ही मुझसे अंजान है-
I'll come back stronger
flaming with resolve
my knuckles bloodied but only from
hauling myself into the fight;
I won't show my scars or tears
or seek a hand when life knocks me down,
this time l'll chase the pain and
punch it back with vigour;
And when I'm done
I shall lay cold and contented,
limned in cosmic silence.
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पहाड़ का हर कोना मेरे दिल में आकर बैठा है
हिमाचल की मोहब्बत को मैंने कुछ ऐसे समेटा है-