कैसे करूं सत्कार तेरा मां दुर्गा
तेरे रूप को झुलसते देखा है
दो मुखौटे पहने इंसानों को
तेरी आराधना करते देखा है
शर्मसार तस्वीरें है माता
हैवानियत लोगों में समाई है
महिषासुर का अंत किया तूने
यहां असुर महिष से भयंकर देखा है
स्त्री होना पाप है कलयुग में
पीडाग्नी में उसे जलते देखा है
कैसे करूं सत्कार तेरा मां दुर्गा
तेरे रूप को झुलसते देखा है-
बलात्कार मेरा हुआ था ,
पर बलात्कारी मेरे अनेक थे ,
किसी ने मेरा दुपट्टा छीना ,
किसी ने मुझे नोचा ,
किसी ने बीच सड़क मुझे रोका ,
किसी ने मेरी आबरू लूटी ,
वो भी थे जिन्होंने मेरी मौत का तमाशा देखा ,
वो भी थे जिन्होंने मुझीपे लांछन लगाए ,
वो भी थे जिन्होंने मुझे धिक्कारा,
वो भी थे जिन्होंने मुझे गंदी नजरो से देखा ,
ये समाज भी था जिसने कभी आवाज़ न उठाई ,
गुनहगार मेरे सभी थे, मेरे लोग,मेरा समाज ,
मेरा देश और उसका कानून भी ,
मेरे संग अत्याचार पर, सभी ने मेरा हाथ छोड़ा ,
अपना साथ छोड़ा,मुझे मौत की डगर पर धकेला ,
बलात्कारी मेरे सभी थे ,
फर्क बस इतना था...
किसीने मेरे तन को नोचा
तो
किसीने मेरे मन को .........-
सच कहा बराबरी मैं नहीं कर सकती तेरी,
तेरे जितना नीचे गिरने की औकात नहीं मेरी !!-
दिल दहल गया है बस आस चाहिए
मेरे देश की बेटी; दिव्या की सांस चाहिए
मुझे कुछ और नहीं इंसाफ़ चाहिए
हवसी को फाँसी दो; भारत साफ चाहिए-
क्या कसूर उस कली का जो कांटो में समा गई...
फूल बनने से पहले ही बड़ी बेरहमी से नोच ली गई...-
These are the fact that whenever a girl is raped in India, then these things arise all over the country...
"Child marriage is the best solution of rape."
"90% of all rape are consensual."
"Rape is, but a natural consequences of Extreme Fraternization between the Sexes."
"Rape is the result of fast food, especially chaumin."
"Those who are on the street saying they are students, are beautiful women. "Highly dented and painted"
"Just because India achieved freedom at Midnight does not mean that women can venture out after dark."
" Women should not venture out with men who are not relatives. Such incident happen due to influence of 'Western Culture'. "
@wordsofanshika
-Anshika'Muskaan'Shrivastava-
कोई ऐसी गली बता दो साहब..
बेटी जहां बेखौफ घूम सके...
क्या करेंगे बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
आंदोलन कर के....
जब उसकी आबरू ही महफूज़ ना रहे।
कसूर ना कपड़ों का ना उम्र का है
चार माह की हो या चालीस साल
दोष सारा दरिंदो का है....
कब तक यूं हाथ पर हाथ धर बैठें
अब तो कुछ उपचार करे....
लाचार बहुत है जनता सच है
काश कोई कानून बने
जो बेटियों को महफूज़ करें...-