ये ढलती शाम मुझे बहुत पसंद है
हमेशा तेरी यादों के साथ आती है
वो सूरज का धीमा होकर छुप जाना
तेरे जाने की याद दिलाती है
घना अंधकार होता है धीरे धीरे
मन में भी कालरात्रि जो कर जाती है
शाम से रात तेरी यादों में जाने कैसे हो जाती है
तुझे इस तरह सोच कर ही मेरी ख्वाहिश पूरी जाती है— % &-
दिल के दर्पण में तेरी यादें बहुत है..
आज तेरी तस्वीर देखने का मन बहुत है..
प्रेम है या परवाह ये रिश्ता समझ नहीं आता..
बस तुझे देख के जीते रहना..
इस खुशी में ही दिल खुश बहुत है...— % &-
बस इतना साथ चाहिए
हर होली गालो पर..
तेरे हाथ से गुलाल चाहिए।।
रंग तेरे नाम का सजे माथे पर..
अध्रो पर मुस्कान तेरे नाम से चाहिए।।
गुलशन हो ज़िन्दगी, रंगों की बहार हो..
राधे कृष्ण सा प्यार बेशुमार चाहिए।।
रंगते जाऊं तेरे रंग में हर पल...
नहीं इसके लिए कोई त्यौहार चाहिए।।
बस इतना साथ चाहिए
हर होली गालों पर...
तेरे हाथ से गुलाल चाहिए।।— % &-
दुनिया से रिश्ता तोड़ तुम्हें पाया है
प्यार का मतलब तुम्हीं ने समझाया है— % &-
बता दे क्या है रश्क तेरा
मेरी आंखों में तो है बस अक्स तेरा— % &-
तेरे एहसासों से जुड़े
जज़्बात है मेरे
इब्रत-ए-इश्क देने वाले
खुद अहमक़ है सारे
फ़ासला मीलों का ही सही
तेरे मेरे दरमियां
एक दूजे से जुड़े
ख़्वाब है हमारे— % &-
फ़रोग़ इश्क में मुमकिन नहीं
ख़ार है राहों में....
मुस्कुराकर कदम बढ़ाना है— % &-
मौसम खुशनुमा हवाएं ज़ार ज़ार हो
मेरे दिल पे तेरे प्यार का ऐतिआर हो— % &-
मुझे ज़रूरत नहीं दर्पण की..
तेरी आंखो में अक्सर देख लिया करती हूं खुद को..— % &-
तसल्ली हुई जानकर आज भी गैरों से जलते हो
जो देख लो मुझे किसी के साथ तो तुम भी आहें भरते हो...— % &-