मुझसे मोहब्बत करना
तो बेइंतेहा करना।
मुझसे मोहब्बत करना
तो लिपट जाना मुझसे ऐसे
जैसे कोई बेल
किसी पेड़ से लिपटती है,
कुछ ऐसे कि तुम्हें
मुझसे दूर करने का
महज़ प्रयास ही
तुम्हें तुमसे दूर करना हो,
कुछ ऐसे, कि कुछ समय बाद
मुझमें मुझसे ज़्यादा,
तुम रहो।
तुम मेरे दिलो दिमाग पर चढ़ जाना
ऐसे कि मैं खो दूं
ख़ुद को, तुम में,
कुछ ऐसे कि मैं सूख भी जाऊं
तो मुझे सूखने का गम ना हो।
कुछ ऐसे कि मैं हरी रहूं
काली पड़ने के बाद भी।
- सुप्रिया मिश्रा
-