आपकी गजलों ने सारी जिन्दगी.. गुलज़ार कर दिया
आप रहे न रहे हमने आपके गीतों से प्यार कर लिया
ये मोहब्बत ये उल्फत के कसीदे जो गड़े है... आपने
इनको आज हमने अपने अंतर्मन में बेशुमार कर लिया
बेखबर, बेखौफ, बेसाख्ता होकर जो गुनगुनाये गीत
उन्ही गीतों से मैंने अपने सारे दर्द को निसार कर दिया
अजीब है न उमर भी देखो जो टूटकर गुजरती नहीं
आपकी मीठी आवाज ने इसपर भी कमाल कर दिया-
छत पर देखा धूप बहुत हैं
वो रास्ता दूर बहुत हैं
तुम तो पहले ऐसे ना थे
अब तुम में तो झूठ बहुत हैं
हाय हमारी लापरवाही
हम तो तुम में गुम बहुत हैं
वो तो मान नहीं रहा अब
इश्क विश्क में ढोंग बहुत हैं
देखो अब तुम हमसे शिखो
आधा दिल सुकून बहुत हैं
क्या करू अब तुम्ही बताओं
चोर तुम्हारा दिल बहुत हैं
रंग रूप पूछो ना हमसे
चांद हमारा दूर बहुत हैं
सब तो ठीक है ये बताओ
सुना इश्क फितूर बहुत हैं ।।
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जो था भी नहीं कभी,
अब वही हो गया हूँ मैं
तूने पागल कहा था मुझे,
अब वही हो गया हूँ मैं
जो पल बिताए थे तेरे साथ कभी,
ख्वाबों में उन पलों से rythem बना लेता हूँ मैं
वक़्त मिले तो ईद का चांद हो जाना कभी,
हर शाम तेरी तलाश में ना जाने कहाँ निकल जाता हूँ मैं??-
Dil hath pe rakha hai koi hai jo khareede,
Dekhoon to zara main bhi kharidaar ki surat,
instagram @saheem._-
"अपनी निजता को यूँ सरेआम न कीजिये !!
अपनी नीचता को यूँ सरेआम न कीजिये ॥
नाम कमाने के ओर तरीके हैं कायर वीरों,
अपनी वीरता को यूँ सरेआम न कीजिये II"-
हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है..
शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है..
ये जो है ख़ाक का इक ढेर बदन है मेरा..
वो जो उड़ती हुई फिरती है क़बा मेरी है..
वो जो इक शोर सा बरपा है अमल है मेरा..
ये जो तन्हाई बरसती है सज़ा मेरी है..
एक टूटी हुई कश्ती सा बना बैठा हूँ..
न ये मिट्टी न ये पानी न हवा मेरी है..-
हिज्र की रातों में क़लम को कितना रुलाया जाए
यादों की थपकियों से ख़्वाहिशों को सुलाया जाए
शिद्दत से थी चाह जिन्हें हमें इस दर्द में देखने की
ग़म ए महफ़िल में मेरी,सिर्फ उन्हें ही बुलाया जाए
जलते हैं जिनके दिल मेरे हर शौक़ ए मिज़ाज से
चराग़े-मोहब्बत उनके लिए बेशक़ न बुझाया जाए
थक गया होगा ज़माना भी मुझे यूँ कहते - सुनते
क्यों न गीत अनजाना ही कोई अब गुनगुनाया जाए
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Unke liye jab dil main fariyaade aayi
Apne liye besumaar nafrate aayi
Aaj Jo gaya tanha bistar pe
Yaad bohat unki karvate aayi
Gale milte rahe tum jahawaalo se yunhi
Apne hisse main to bas furkate aayi
Mere deewane dil ki jurat toh dekho
Tujhko paane ki dil main hasrate aayi
Mere Marj tera shukriya karna lazmi tha
Mujh bemaar k taqdeer main uski qurbate aayi
- P.S.-