Dr. Iti Aparajita   (#डॉ इति)
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Joined 30 January 2022


Joined 30 January 2022
18 JUL AT 10:49

मैं तो सिर्फ तेरे नाम का ही तलबगार रहा
तेरी नज़रों में फिर भी मैं गुनाहगार रहा
ज़माने से डरा ही नहीं कभी मिज़ाज मेरा
बस तेरी नज़रअंदाज़गी से मैं बेज़ार रहा

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20 MAR AT 16:00

जिसकी हर बात पे मुझको यक़ीन था
ज़माने में इक शख़्स इतना ज़हीन था

वो इक जान ही पूरी दुनिया रही मेरी
बग़ैर उसके अंजुमन भी गमगीन था

आँसू भी मीठे हो गए हिज्र में जिसके
इश्क़ उसका इस क़दर नमकीन था

प्यार था इबादत थी या रब था वो मेरा
ज़माने के लिए ये मसला ही संगीन था

ये बात और है कि अब टुकड़ों में हूँ मैं
मुकम्मल था जब मैं भी बेहतरीन था

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14 FEB AT 23:33

क़सूर बस इतना कि इक ख़्वाब देखा
सज़ा में उन आँखों ने फिर सैलाब देखा

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12 FEB AT 10:04

उसे ज़िन्दगी में सब सही चाहिए
इसलिए तू उसे अब नहीं चाहिए

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30 SEP 2024 AT 22:35

प्यार में स्पर्श का भी अपना ही मान है

देव चरण छू कर ही मिलता वरदान है

किरणों के छूने से खिलती हर कली है

पवन के सहलाने से धरा भी मचली है

फिर क्यों प्रेम मेरा तेरे स्नेह से वंचित है

प्रिय मेरा तो जीवन ही तुम्हें समर्पित है

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8 APR 2024 AT 23:32

अबकी बिछुड़े तो शायद ही मिले फिर ख़्वाबों में
बन के समन्दर बस ठहर जाएँगे तेरी आँखों में
तेरी बेपरवाही का गर दिल असर ले ले कभी
खामोशियां ही फ़िर रह जाएँगी मेरे अल्फाज़ों में

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8 APR 2024 AT 23:13

अपनी ख़ुशबू से सजा गया बदन मेरा
किसी चमन से कम नहीं है सनम मेरा

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25 JAN 2024 AT 21:31

बोझिल हो रहा हूँ मैं इक अजीब सी थकान से
अब कोई पुकारता भी नहीं उस दूर के मकान से
क्यों रहता है गीला जमीं का दामन आजकल
साथ मेरे क्या कोई और भी रोता है आसमान से

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25 JAN 2024 AT 21:12

जो पल तुने ठुकरा दिया मेरी उम्र भर का इन्तज़ार था

लफ़्ज़ों की साँसें थी उनमें मेरी गज़लों का अशआर था

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25 JAN 2024 AT 19:01

सोचा था तेरे पहलू में बैठ हम संवर जाएँगे

क्या थी ख़बर कि तार तार बिखर जाएँगे

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