Dr. Iti Aparajita   (#डॉ इति)
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Joined 30 January 2022


Joined 30 January 2022
8 APR AT 23:32

अबकी बिछुड़े तो शायद ही मिले फिर ख़्वाबों में
बन के समन्दर बस ठहर जाएँगे तेरी आँखों में
तेरी बेपरवाही का गर दिल असर ले ले कभी
खामोशियां ही फ़िर रह जाएँगी मेरे अल्फाज़ों में

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8 APR AT 23:13

अपनी ख़ुशबू से सजा गया बदन मेरा
किसी चमन से कम नहीं है सनम मेरा

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25 JAN AT 21:31

बोझिल हो रहा हूँ मैं इक अज़ीब सी थकान से
अब कोई पुकारता भी नहीं उस दूर के मकान से
क्यों रहता है गीला जमीं का दामन आजकल
साथ मेरे क्या कोई और भी रोता है आसमान से

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25 JAN AT 21:12

जो पल तुने ठुकरा दिया मेरी उम्र भर का इन्तज़ार था

लफ़्ज़ों की साँसें थी उनमें मेरी गज़लों का अशआर था

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25 JAN AT 19:01

सोचा था तेरे पहलू में बैठ हम संवर जाएँगे

क्या थी ख़बर कि तार तार बिखर जाएँगे

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5 JAN AT 23:36

अरसे से मैंने कुछ लिखा नहीं
ज़िन्दा हूँ भी या नहीं पता नहीं
इक आस सिरहाने रखता हूँ मैं
कल मिलेगा,जो कल मिला नहीं

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18 NOV 2023 AT 20:29

ज़ायका उनके इश्क़ का हमसे न पूछिए
महज़ ख़ुशबू से आख़िर कोई कितना बयाँ करे

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22 SEP 2023 AT 17:31

बेचैन है मन आज फिर तेरी ख़बर के लिए
जैसे बेघर कोई निकल पड़ा हो घर के लिए

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18 AUG 2023 AT 9:59

आज वक़्त का जब हटाया मलबा मैंने
यादों में ख़ुद को बेबस पाया दबा मैंने
चन्द टुकड़ों में ही फिर मैं मिला ख़ुद को
उस ख़ाक को तो कुरेदा कई मर्तबा मैंने

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22 JUN 2023 AT 7:38

उसकी जीस्त की इक शाम तो मेरे इख़्तियार में हो
पहलू में रहूँ मैं उसके और वह भी मेरे प्यार में हो

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