Dard tu "शोर" na 🤐kar abhii,,
"गमों" kii raat 🌃 hai
Meri bhii "मौत" hogii
Bas Kuch Dino ki baat hai...-
अए वक्त !
तुझसे खुशियों की उम्मीदें थी ,
गमो की किताब तो मुझे जिंदगी ने भी भेंट की है ।।-
तुम्हें खोकर भी कभी तुम्हें खोने का एहसास नहीं होता,
बस तेरी यादें पास है, तो किसी गमों का एहसास नहीं होता!!
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एहतेमाल ग़मों का .. आज .. रहम कर गया
कर के बेरुख़ी हमसे ही .. रुख़सती .. दिल से ले गया
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मैं थक हार चुकी जिस हकीकत से रूबरू होने को ,
उस सच्चाई को एक नया राज़ दे रही हो !
फिर से बजे मेरी ज़िंदगी में कष्टों के राग ,
इसके लिए वक्त को साज़ दे रही हो !
और इतनी तकलीफें कम नहीं थी क्या..?
जो मेरे लिए नए गमों को आवाज़ दे रही हो !-
किस दर पर सुनाऊँ अपने ग़मों को,
यहाँ तो लोग वाह वाह करते हैं...— % &-
सूरत- ए- हाल कुछ ऐसा है हमारा के गमों की चादरों को आँसुओ से धोये जा रहे हैं...
बिखरा हुआ दिल समेट रहे हैं हम और एक वो है जो बार-बार तोङे जा रहे हैं...-
हाँ आज भी लोग पूछते हैं तुम्हारे बारे में कई दफा
मैं भी ग़मों को छुपा मुस्कुरा कर टालना सीख गया हूँ।
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अपने ग़मों का बोझ खुद ही उठाना है
चाहे इसको बता ले ,चाहे उसको बता ले !-