.. तू आज भी मेरा होता
बदगुमानी थी दिल में तेरे .. अफ़सोस कि कुछ तो सुधरा होता
ज़िन्दगी चाही थी बढ़ानी .. बस तूने कुछ तो ख़ुद को रोका होता
ना दिखाता दिलचस्पी .. ग़ैरों में .. तो आज भी अपना होता
काश मुझे समझा होता .. तू आज भी मेरा होता
ना होती ये तक़रार .. एक समझौता होता
बिखर गई दिल की दुनिया .. अब तो एक-एक कतरा रोता
दिखते कहाँ वो दर्द अब .. क्योंकि इनको तो बस सब्र ही होता
काश मुझे समझा होता .. तू आज भी मेरा होता
चलो अच्छा है छूट गया साथ तेरा .. तू तो हर किसी का ही होता
बेफ़िक्र था ज़ज़्बा तेरा .. हर किसी के दिल में ही सोता होता
काश मुझे समझा होता .. तू आज भी मेरा होता 💞-
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ढूँढन... read more
फ़रेब ने इतना
दिल दिया कुरेद
रह-रहकर
उठती है टीस
फिर भी ये कहलाता
दिल का रंगरेज़
इसकी फ़ितरत
खूबसूरत इतनी
कि दिल रखने लगा
इससे गुरेज़
💞-
जुड़ी ही हैं ग़र ज़िंदगियाँ .. तो क्यों ना ख़्वाब भी एक हो जाएँ
निहारूँ मैं चाँद और चाँदनी की चाहत .. तुझे नज़र आ जाए
💞-
कर दिया कुहुकना मैंने फिर एक बार
खिल जाएँगी मेरी ख़्वाहिशें
है यक़ीन और एतबार
💞-
कमी ना है फ़रेबियों की .. रखना हिसाब
ज़रा सा नक़ाब .. और दिखाते रुआब
सीख लो पहचानना .. ना तो खाओगे धोखे बेहिसाब
क्या आपको मालूम है .. क्यों कर रहे हम ये सवाल-जवाब
क्योंकि पाल लिए थे साँप पहलू में .. और ज़हर भी ना निकाला जनाब
जानबूझ कर ले लिया दर्द .. और कर ली ज़िन्दगी ही ख़राब
ना छोड़ना दुआ सलाम .. रहना करते बराबर ही आदाब
बाक़ी नसीब अपना-अपना .. बस रखना बनाए नूर और आब
क्या आपको मालूम है
ज़िन्दगी है अपनी .. तो अपने हिसाब का ही रख-रखाव 💞
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ख़्वाब की व्याख्या
ज़रा सा है मुश्किल .. करें कैसे ता’बीर
जिसे ख़ुदा ने ख़ुद .. ज़ेहन में बिठाया
ना जाने फ़िर क्यों .. कर दिया रुख़्सत
यक़ीनन .. हमारे लायक़ ही उसे ना पाया
💞
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.. क्या हो सकता है
ये तो है अपने ऊपर
किसी के लिए जज़्बात .. तो किसी के लिए दर्द हो सकता है
प्यार का प्रतीक .. क्या हो सकता है
किसी के लिए रस्म निभाना .. तो किसी के लिए बेबाक़ी हो सकता है
प्यार का प्रतीक .. क्या हो सकता है
किसी के लिए हो जाना रुसवा .. तो किसी के लिए बिखरना हो सकता है
प्यार का प्रतीक .. हमारे लिए क्या हो सकता है
ये तो था .. हमारे ऊपर
सो भूल गए बीती बातें .. और निखारना ख़ुद को यही ही होता है 💞-
करो तो शिकायत ये तब .. जब तुमसे ही ये बनता है
ना सुनते तुम किसी की .. तो किसी से पूछने का हक़ कहाँ ही बनता है
करो मन की सुनो दिल की .. आवारापन हर किसी को खूब जमता है
हमने भी कौन सी सुनी किसी की .. देखो ना ज़माना हम पर खूब हँसता है
रोते हैं दिल ही दिल .. और आँखों से नूर खूब ही टपकता है
कौन यहाँ किसकी सुनता है .. तभी तो बहरेपन में दिल भी रमता है
तुम मिल गए हमसे .. बेख़ौफ़ दिलों का देखो ना कितना जमता है 💞-
बह निकली ना जाने किस ओर
ना मिला किनारा .. ना ज़िन्दगी का छोर
वो इश्क़ की धारा .. मचाती तो थी बहुत शोर
अब हुआ क्या ऐसा .. ना शोर ना चित्त-चोर
वो इश्क़ की धारा .. दिखती थी बहती नित भोर
अब तो ना धारा ना किनारा .. बस टूट गई दिल की डोर
💞-