मैं दिन में माहताब देखता हूं,
मैं रातों को आफ़ताब देखता हूं।
मैं आंखों में हिजाब देखता हूं,
मैं अश्कों को शराब देखता हूं।
मैं सवालों में जवाब देखता हूं,
मैं किताबों को शादाब देखता हूं।
मैं खुद को बेनकाब देखता हूं,
मैं तुझ को बेहिसाब देखता हूं।
मैं हर सपना नायाब देखता हूं,
यूं ही नहीं इतने ख्वाब देखता हूं।
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