मुँह फेर कर जाने वाले
इतना तो तुम्हे भी पता था
कौन गलत और कौन सही
फिर भी न जाने क्यों तुमने
गलत का साथ दिया ।।
मैं फिर भी दोष नही दूँगी तुम्हे
क्योकि तुम्हारे निकलते आंसूओ
ने तुम्हारी मजबूरी की दास्तां
बयान कर रहे थे ।।
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मुँह फेरकर वो गया है ऐसे
कोई रिश्ता नहीं था जैसे।
दिल को ठेस तो लगी होगी
इतना ग़म ये सहता है कैसे।
तेरे बिन कहीं लगता नहीं है
गुजारा करता है जैसे तैसे।
रात दिन नाम रटता रहता है
इबादत में कोई होता है जैसे।
हद ए सितम कोई बताये हमें
इश्क़ में मुश्किल क्या है वैसे।
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आज मेरा बटुआ मुझे खाली नजर आता है
सिवा मां बाप के कोई सिर पे हाथ नहीं फिराता है-
हमें देखकर जब उन्होंने मुंह
मोड़ लिया,
एक तसल्ली हो गई चलो
पहचानते तो है-
रिश्तों कि खातिर अब झुकना छोड़ दिया हमने, जब से सिर पर हाथ फेरने वाला गया है, सिर कुचलने वाले सब तैयार बैठे हैं।
निधि श्रीवास-
Are tum itr ki baat karte ho....
Jabse cehre pe unhone julfo ko fera hai....
Ab har itr ki khusboo fiki lagti hai....-
कर के बेचैन मुझे,
फिर मेरा हाल ना पूछा..
उसने भी फेर ली नजरे,
मैंने भी सवाल ना पूछा..!-
ये जो सबसे निगाहें फेर लेता हूँ,
ये मेरा ग़म है मेरा गुरूर नहीं..
मेरा खुद मुझसे भरोसा उठ रहा है,
मुझे छोड़ने वाले तेरा कसूर नहीं..-
मैं देखता हूं तुम्हें एतराज़ तो नहीं,
अब हमारे दरमियां कोई राज़ तो नहीं..
मेरे आते ही नज़रे फेर लेती हो,
कहीं ये दिल जलाने का अंदाज तो नहीं..-
उसे पसंद है मेरे बालों में हाथ फ़ेरना
ख़ुदा से दुआ है कि मैं रहूँ ना रहूँ
मेरी कब्र में मेरे बाल सलामत रहें...!!-