मयखाना मयखाना   (Anand jain)
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WRITER..
City representative of robin hood army fazilka.
Digital executive in lexitiva
Joined 29 October 2018


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अपनी निगाहों से ना देख खुदको,
हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा..
मेरी निगाहों से देख एक बार खुदको,
चांद भी तुझे तेरा टुकड़ा लगेगा..

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तेरे प्यार का क्या हिसाब दूं,
तेरी मोहब्बत को क्या खिताब दूं।
कोई अच्छा सा फूल होता तो तुम्हें ज़रूर देते,
जो खुद ही गुलाब हो उसे क्या गुलाब दूं।।

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वो दूर मुझसे कहीं है,
चलो जी ये भी सही है।
हां हैं और भी हुस्न जमाने में,
पर मुझे पसंद सिर्फ वही है।

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कभी लफ़्ज़ भूल जाऊं कभी बात भूल जाऊं,
तुझे उस कदर चाहूं कि अपनी जात भूल जाऊं।
कैसे कहे तुम्हें कि कितना चाहा है तुझे,
अगर कहने पे आऊं तो अल्फाज़ भूल जाऊं ।।

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आपने जब नज़र से नज़र मिला दी,
हमारी जिंदगी तब झूमकर मुस्कुरा दी।
जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके,
पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी..

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बाल संवारने से लेकर चोटी तक बनाऊँगा,
तू हाँ तो कर तेरे लिए रोटी भी बनाऊँगा..!

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मंज़िले अभी दूर बहुत है,
न जाने कितना अभी सफर बाकी है..
जी लेते हैं थोड़ा सा और हम,
मरने में तो अभी उम्र बाकी है.. !!

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जो जानते नहीं वो हमारे हो रहे है,
हम चांद क्या हुए सब सितारे हो रहे है..
बातों के बीच उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा,
इश्क़ में है क्या बड़े प्यारे हो रहे है..

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इश्क़ का फिर से लगा खून है मुझे,
तभी लगा फोन है तुझे..
बात चाहे कोई भी नहीं हुई,
पर मिला बहुत सुकून है मुझे..

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जो है, जितना है, तुमसे है, काफ़ी है,
अब इश्क़ कहो या पागलपन हम सब में राज़ी हैं !

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