तिरंगे को देख कुछ होता है
ये मन यही सोचकर रोता है
वो जागता है तू सोता है
उसकी भी क्या ज़िन्दगी जिसने
लुटा दिया सब कुछ वतन पर
धन्य है वो, जो तेरे खातिर
अपनी नींद खोता है
ये कुर्बानी उसका शौक नही जज़्बा है
अभिमान न सही ,उसका भी
स्वाभिमान तो होता है
आखिर क्यों वो ये ज़िन्दगी जीता है
मै आज बता दूँ तुझे
क्योंकि उसके मन में भी
तिरंगे को देख कुछ होता है
© Ishu Gautam
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मेरे दोस्त मुझे याद करे या ना करे , इस बात का मुझे कोई गम नहीं ,
क्योंकि मै तो जान हूं अपने दोस्तो की ,तो फिर ये कैसे हो सकता है उनकी हर सांस में हम नहीं ।
Lovvvvvveee youuuuuu mere kaminooooo 😅😅😅😘😘😘-
Gajab ka desh h mera jaha maut samne h
Ye jante hue bhi log FAUJ ki naukri nahi chodte
Wahi kuch log akhbaar padh k desh chodne ki baat karte h......-
फ़ौज में जाना किसी के बस की बात नहीं,
लेकिन अगर जिगरा है तो, उसको रोक पाना,
किसी के बस की बात नहीं !-
My Face was clean bright with no marks which opp sex liked .
Then I entered fauj ,now i have blood stains marks ,stitches all over ..
And the only thing i love is big guns.-
मुसल्सल ग़ज़ल।
मुल्क़ पे जो मिट गया
सबसे ऊँचा उठ गया
है ख़ुदा की शक़्ल वो
जो वतन पे लुट गया
खून में लथपथ था जो
मेरा उसपे दिल गया।
© ग़ज़लयार-
उस रात🌌 की बात थी,
बात ही कुछ खास💫 थी।
मिट्टी में मिला खून💉 था,
और
दिल💝 फौज 💂का दीवाना था।🥰-
यूं तो बहुत खूब होता है अंधेरा शाम का,
शायर को बहुत भाता है अंधेरा शाम का,
शराब के शौकीन को बहुत रास आता है अंधेरा शाम
का,
पर जरा पूछो उस पत्नी से,
क्या उसे भाता है अंधेरा शाम का?
पिया जिसके फौज में हों,
एक और रात सुहागिनों जैसी,
एक और रात बच्चों के सर पर साया पिता का,
बस एक और शाम पिया के साथ,
अगली सुबह उसके पिया,
जाने वाले होते हैं सरहद पर,
बहुत दूर दुश्मन से लड़ने,
ताकि हम महफूज रह सकें,
और लिख सकें,
हां!बहुत खूब होता है अंधेरा शाम का..........-