जब घर पर कोई,
किसी का इंतजार करता है,
हर वक्त दिल भी,
मिलने को, सुक्खी आहें भरता है।
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मौसम की तरह बदलना हमें आता नहीं,
ये दिल है मेरा, इसको हरेक भाता नहीं,
तुम अच्छे लगे हो, तुमसे कहता हूँ,
ये दिल भी बड़ा जालिम है,
अच्छा किसी को जल्दी से कहता नहीं है।-
कब तक कमाना है, ये हम नहीं
इंसान का पेट तय करता है,
रब को याद करना या ना करना,
ये इंसान का भय तय करता है।-
जब कोई मुझे चैलेंज करता है,
तो मेरा खून डबल रफ्तार से दौड़ने लगता है।
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महफिल में आते ही हमारे,
वो कमेंट करते हैं,
हमें नीचा दिखाने की,
पूरी कोशिश करते है,
हमने कहा उनसे मत कर ए इंसान ऐसा,
मत मजबूर कर हमें बनने पर ऐसा वैसा,
वाकिफ नहीं हो अभी तुम,
हमारी कलम ए औजार से,
हम बोले तो ना मिलेगी ये इज्जत,
फिर किसी बाजार से।
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ना मजबूर करो हमें बोलने पर,
हम बोले तो, खुद से नजर नहीं मिला पाओगे,
दुश्मन मत बनाओ हमें,
वर्ना जहां जाओगे हमें पाओगे।-
ਕਰ ਤੂੰ, ਜਿੰਨੇ ਮਰਜ਼ੀ ਕੰਮ,
ਸਿੱਖ ਸਿੱਦਕ ਨਾ ਹਾਰੀ ਓਏ,
ਐ ਦੁਨੀਆ ਜਿੰਨੀ ਮਰਜ਼ੀ, ਮਿੱਠੀ,
Sukhi, ਇਹ ਅੰਦਰੋਂ,
ਸਮੰਦਰ ਦੇ ਪਾਣੀ ਵਾਂਗੂੰ ਖਾਰੀ ਓਏ-
महफिल मे पहुंचे, जब हम,
दुश्मन ज्यादा थे दोस्त कम,
जिक्र हमारा चल रहा था,
दुश्मनों को दिलों में,
खौफ हमारा पल रहा था,
हमें देखते ही सारे सहम गए,
महफिल में अचानक गर्माहट छा गई,
जो जानते नहीं थे, उन्होंने पूछा कौन है ये,
यह वोही हैं जिनके आने से रोशनी छा गई।
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दिल में ख्याल आया, उनका,
वो पास होते, तो क्या बात होती,
हम उनसे नाराजगी का शिकवा करते,
और वो हमारे कंधे पर सिर रखकर रोती।
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