ख़त्म हुआ अब 'अहदे-हिज्रो-विसाले-यार'
देखे हैं बहुत खेल इश्क़ के मेरे परवरदिगार
कहीं दिल न हो जाए तेरा फिर से बे-क़रार
कि यहां भी हम मिल रहे हैं आज बार-बार
जाते हैं लूट कितने लोग, हुसूल-ए-इश्क़ में
करना पड़ता है, अपने दामनों को तार-तार
बदलता ही रहता है मौसम जहाँ में रोज़ ही
कब किसको, हर वक़्त मिला है यहां बहार
इस बेवफ़ा के तग़ाफ़ुले-पैहम भी जरा देख
अब तो छोड़ 'तिलिस्म-ए-इश्क़ का इंतज़ार-
वो फरेबी था बड़ा और हम फरेब में पडते गये_
उसकी झूठी मासूमियत पर आँखें मूंदे विशवास करते गये!-
ज़रा सी भीड़ बढ़ जाए,
तो मेरी कलाई में,
अपनी पकड़ मजबूत कर देता है !
संग चलूं जो कभी तो,
रख कर कांधे पर हाथ मुझे,
रोड साइड से सेफ साइड कर देता है !
औऱ भूले से नाम जो प्यारे का ले लो,
तो झुका के नजरे,
लब्जों से फ़रेब झट कर देता है !
जाए जो महफ़िल में कभी,
साथ मेरे,
तो नजरें मुझ पर ही जमाए रखता है !
औऱ ख़्याल तो यूँ रखता है,
कि मेरे लिए,
पूरी दुनिया से लड़ने को तैयार रहता है !
औऱ भूले से नाम प्यार का ले लो,
तो झुका के नज़रे,
लब्जो से फ़रेब झट कर देता है !-
बेड़ा गर्क हो तेरा और तेरी यादों का
उन झूठी कसमों और झूठे वादों का
तेरे संग बीते लम्हों और बीती उन रातों का
तेरी छोटी सोच और तेरे गंदे इरादों का
बेड़ा गर्क हो तेरा और तेरे नकली यारों का
अरे जब तू एक का न हुआ तो क्या होगा हजारों का..🤔✍️-
इश्क के बाजार में आज फिर दिल बदनाम हो गया
फरेबी वो निकले और प्यार हमारा गुमनाम हो गया
हम वहीं खड़े थे नेत्रनीर नैन लिए उनके इंतजार में
तभी दिल ने कहा मत कर इंतजार
क्योंकि इश्क की इन गलियों में
मेरा टूटना अब आम हो गया-
😠truth of modern love😠
आशिकी में खुदकुशी....
समझती है सारी दुनिया जिसे...
असल में मेहबूबा के हाथों...
एक हसीं कत्लनामा है...
इस दौर में मोहब्बत एक...
फरेब से ज्यादा कुछ भी नहीं...
रुह की अब कहाँ, किसको पडी...
सबको तो अब बस जिस्मों को पाना है...-
बेइंतेहा खूबसूरत था वो फरेब
स्याह सच की दीद़ तो
उसके मुकम्मल होने पर हुई-
Es qadar chahat thi unse,
Unki Chahat Me khud ko Bhula Baithe The..
Aur Unke Fareb Se Bhi Mat kha Baithe The...
Hamari Chahat Ka Aandaja Es Bat Se Lga Lena,
Ham To Ek Bedard, Bewafa Se Hi Dil Lga Baithe The....-
अब ना शिकवा है तुझसे कोई ना कोई ग़िला है
ख़ुश हूँ मैं ये सुनकर फ़रेबी को फ़रेबी मिला है!-