Arjun Verma   (arjun verma)
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Joined 23 March 2020


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Joined 23 March 2020
18 FEB AT 13:42

है इबादत यही—
मन के मंदिर की मूरत बनो तुम।
भोर हो, आँखें खोलूँ,
सामने रहो तुम,
और मैं मन की तृप्ति तक निहारूँ।
कुछ इस कदर मेरे जीवन में
ज़रूरी बनो तुम। :)

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9 FEB AT 11:55

मेरे लिए बूंद भी तुम,
और सागर भी तुम,
अगर बूंद बन बरसोगी तो तुमको खुद में महसूस करूंगा,
और सागर बन समेटोगी तो तुममें कही विलीन हो जाऊंगा।

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28 NOV 2024 AT 23:03

तुम्हारी बातों में
एक अनकही धुन है,
जैसे शांत झील की सतह पर
कोई छुपा तूफान।

तुम्हारे करीब आकर
सांसें अपनी चाल भूल जाती हैं,
और शब्द,
बस बेजुबान हो जाते हैं।

तुम्हारा होना ही
जैसे सर्द हवाओं में
सूरज की पहली किरण हो,
जो दिल को छूकर
आत्मा तक पिघला दे।

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27 NOV 2024 AT 22:19

Under the bridge

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16 NOV 2024 AT 18:56

As mash whatever thee pay
Makes me peculiar and elate
And because of thy presence , all say
I am fortunate .

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25 NOV 2021 AT 18:53

इज्त़िराब था नर्गिस में
लफ़्ज़ों में असरार था हिज़्र का
फक़त उसका आलिंगन ही था
जो मुझे खुल्द़ लगता था ।।

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5 AUG 2021 AT 22:44

Listen, amalgamate
In me adequately,
Wanna be fortunate.

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5 JUL 2021 AT 17:56

दिल में ख़लिश है लर्जिंश है,
तू थोड़ी फ़राग़त निकाल,
आगो़श में ले तस्की़न कर मुझे;

मैं तेरे सीने से लगकर..
खुद की नीलामी से..
महफ़ूज़ होना चाहता हूँ :)

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29 JUN 2021 AT 17:16

She has accepted the anklet as a gift.
Now my devotion will play at her feet.

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15 MAY 2021 AT 13:58

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